कोटा में इस साल 19 बच्चों ने अपनी जान ले ली. ज़िम्मेदार है वो प्रेशर जो वो बैग में भरकर लाते हैं

Sanchita Pathak

कुछ सालों पहले एक फ़िल्म आई थी, 3 Idiots. कई मामलों में ये फ़िल्म सराहनीय है. इस फ़िल्म में एक बहुत गंभीर विषय उठाया गया था, माता-पिता द्वारा अपनी पसंद थोपे जाने का. फ़रहान (आर. माधवन) के पिता उसे इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन उसे फ़ोटोग्राफ़ी का शौक़ था. पिता के प्रेशर के कारण वो इंजीनिरिंग चुन लेता है और उसके ग्रेड्स पर भी इसका असर साफ़तौर पर दिखता है.

ये एक फ़िल्म थी और ज़्यादातर फ़िल्मों की Happy Ending ही होती है, फ़रहान इंजीनियरिंग छोड़ कर Wildlife Photographer बन जाता है.

Twenty 19

10वीं/12वीं के बाद कोटा जाना है, तैयारी करनी है, IIT या AIIMS में दाखिला पाना है. भारत में अधिकतर बच्चों की ज़िन्दगी का फ़ैसला उनके माता-पिता करते हैं, चाहे वो करियर हो या शादी. ये पूरी तरह से ग़लत नहीं है लेकिन इस वजह से कई बच्चों के सपने दब जाते हैं. माता-पिता के सपनों को ही वो अपना सपना बना लेते हैं. कई माता-पिता को ये लगता है कि इंजीनियरिंग की डिग्री ही बच्चे के सुनहरे और सफल भविष्य का टिकट है, जो कई मामलों में सच नहीं है.

समाज और पेरेंट्स द्वारा बनाए गए इस प्रेशर को कुछ बच्चे झेल लेते हैं लेकिन कुछ बच्चों के लिए ये प्रेशर उनकी ज़िन्दगी से बड़ा बन जाता है. हार की शर्म या नाक़ामयाबी का डर, कई बच्चे इस प्रेशर के तले दबकर ज़िन्दगी गवां देते हैं.

कोटा में हर साल लाखों बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने जाते हैं, इनमें से ज़्यादातर बच्चे अपने नहीं, अपने माता-पिता के सपनों का बोझ लेकर आते हैं. कुछ बच्चे तो ज़िन्दगी की परिक्षा में पास हो जाते हैं मगर कुछ ज़िन्दगी की जंग हार जाते हैं.

Behance

New Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल भारत की कोचिंग कैपिटल में अब तक 19 बच्चों ने आत्महत्या कर ली है. 4 दिनों में तीसरी आत्महत्या की ख़बर ने हर तरफ़ सनसनी फैला दी है और इंजीनियरिंग के प्रेशर पर चर्चाएं फिर से शुरू हो गई हैं.

2017 से छात्रों के आत्महत्या करने की संख्या में इज़ाफा हुआ है, 2017 में 7 छात्रों ने सुसाइड कर लिया था.

हमारे समाज में कई माता-पिता यही मानते हैं कि अगर बच्चा इंजीनियर नहीं बना तो वो सफ़ल नहीं हो सकता. इंजीनियरिंग, मेडिकल सफ़लता का पैमाना क्यों है? क्या बच्चों के सपने, इच्छाएं मायने नहीं रखती? क्या दुनिया का हर सफ़ल व्यक्ति इंजीनियर ही है?

सोचिए और अगर हो सके तो अपने बच्चों पर इंजीनियरिंग और मेडिकल को थोपना छोड़िए. 

Feature Image Source: Indonesia Expat

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