दूसरों की भलाई के लिए 6000 रुपए दान किए और फिर दो दिन बाद कर ली आत्महत्या

Sanchita Pathak

हैदराबाद के एक 26 वर्षीय कैब ड्राइवर, बी.विजय ने ट्रेन की पटरी पर लेटकर आत्महत्या कर ली. 


Telangana Today की रिपोर्ट के मुताबिक़, विजय ने बीते मंगलवार को आत्महत्या की. उससे पहले रविवार को उसने अनाथों के अंतिम संस्कार के लिए Serve Needy Voluntary Organisation में कम आय होने के बावजूद 6000 रुपये दान किये. 

विजय ने NGO के हेड गौतम कुमार को पैसे दिए थे. 

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, विजय ने 2 पेज के सुसाइड नोट में बहुत कुछ लिखा था. उसने कहा कि उसकी मौत का कोई ज़िम्मेदार नहीं है और अनाथ होने की वजह से वो काफ़ी अकेला महसूस करता था.


विजय का अंतिम संस्कार इसी NGO ने उसी के दान किए पैसों से किया.  

Telangana Today की रिपोर्ट के मुताबिक़ नामपल्ली गवर्मेंट रेलवे पुलिस सब-इंस्पेक्टर, एम. कोम्मुरैया ने बताया कि विजय बोरबंदा में अपने दोस्तों के साथ रहता था और पहले भी 2 बार अपनी जान लेने की कोशिश कर चुका था. 

NDTV

Telangana Today में छपे नोट के अंश:

‘मैं बहुत अकेला हूं और मुझे अपनी ज़िन्दगी पसंद नहीं है क्योंकि अकेलापन मेरे लिए परेशानियां खड़ी कर रहा है. मेरे जन्म से ही मुझे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और मेरी ज़िन्दगी में ख़ुशी के मौक़े भी न के बराबर आए.’  

नोट में ही विजय ने लिखा था कि उसने दो बार आत्महत्या का प्रयास किया पर असफ़ल रहा. विजय ने अपने भाई, दोस्त के नंबर के साथ अपनी आख़िरी 2 इच्छाएं भी लिखी. पहली कि उसकी बॉडी उसके भाई संदीप को दी जाए और दूसरी कि उसकी मृत्यु के 24 घंटे के अंदर उसका अंतिम संस्कार, Punjagutta Crematorium में किया जाना चाहिए.


विजय ने अपने दोस्तों और शुभचिंतकों से माफ़ी भी मांगी.  

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे