संगरूर ज़िले के भगवानपुरा गांव में 140 फ़ीट गहरे बोरवेल में गिरे 2 साल के फ़तेहवीर सिंह को बचाया नहीं जा सका. मंगलवार की सुबह करीब सवा पांच बजे सेना के जवानों ने 109 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद फ़तेहवीर को बाेरवेल से बाहर तो निकाला लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी.
फ़तेहवीर को बचाने की उम्मीद में उसे तुरंत एंबुलेंस से डीएमसी अस्पताल ले जाया गया. वहां से उसे चंडीगढ़ पीजीआई रेफ़र कर दिया गया, लेकिन पीजीआइ के डॉक्टरों ने प्रारंभिक उपचार के बाद फ़तेहवीर काे मृत घोषित कर दिया.
दरअसल, जिस वक़्त फ़तेहवीर के परिजन खेतों में काम कर रहे थे, वो खेलते-खेलते खेत के बीच में बने बोरवेल में जा गिरा. दस वर्ष पुराने इस बोरवेल को प्लास्टिक की बोरी से ढका गया था. जैसे ही फ़तेहवीर का पांव बोर पर पड़ा, बोर पर लगी बोरी कमजोर होने से वो सीधा बोरवेल में जा गिरा. परिजन उसे बचाने के लिए भागे लेकिन तब तक वो 125 फ़ीट की गहराई में जा चुका था.
पिछले पांच दिनों से फ़तेहवीर को निकालने की कोशिशें की जा रही थीं. वो 140 फ़ीट गहरे बोरवेल के 125 फ़ीट की गहराई पर फंसा हुआ था. फ़तेहवीर को बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ़ और सेना की असॉल्ट इंजीनियरिंग रेजीमेंट जुटी हुई थी, लेकिन रैसिक्यू ऑपरेशन के दौरान आई दिक्कतों की वजह से फ़तेहवीर को बाहर निकालने में काफ़ी देर हो गई, जिस कारण उसकी मौत हो गयी.
फ़तेहवीर की मौत के बाद परिजनों और अन्य लोगों ने चंडीगढ़ पीजीआई के बाहर स्थानीय प्रशासन और पंजाब सरकार के ख़िलाफ़ जमकर प्रदर्शन किया. लाेगों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण बच्चे को समय पर निकाला नहीं जा सका, जिस कारण उसकी उसकी मौत हुई.
फ़तेहवीर की मौत के बाद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सभी ज़िला उपायुक्तों से 24 घंटे के अंदर राज्य में खुले बोरवेलों के बारे में रिपोर्ट मांगी है. साथ ही इस संबंध में तुरंत कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं.
आम लोग भी अपने क्षेत्र में किसी खुले बाेरवेल के बारे में जानकारी देने के लिए हेल्पलाइन नंबर 0172-2740397 पर कॉल कर सकते हैं.