धार्मिक सौहार्द का अनोखा उदाहरण: बक़रीद पर मुज़फ़्फ़रपुर के कई मुस्लिम नहीं देंगे क़ुर्बानी

Sanchita Pathak

सावन का महीना हिन्दुओं के लिए अलग महत्ता रखता है. 2019 का बक़रीद, सावन के आख़िरी सोमवार को पड़ रहा है.

बक़रीद मुसलमानों का बेहद ज़रूरी त्यौहार है और सावन हिंदुओं के लिए अलग महत्त्व रखता है. 

रिपोर्ट्स के अनुसार, ऐसे अवसर पर यूनाइटेड शिया मूवमेंट के जनरल सेक्रेटरी के.एच.नकवी ने बक़रीद पर क़ुर्बानी न देने की अपील की. उनका कहना है कि क़ुर्बानी अगले दिन भी दी जा सकती है. 

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धार्मिक सौहार्द का एक और उदाहरण मुज़फ़्फ़रपुर के कुछ मुसलमानों ने पेश किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 3 दर्जन मुसलमानों ने बक़रीद के पहले दिन क़ुर्बानी न देने का फ़ैसला किया है. ये सभी मुस्लिम परिवार मुज़फ़्फ़रपुर के बाबा ग़रीबनाथ मंदिर के आस-पास रहते हैं. ये निर्णय छाता बाज़ार मस्जिद के इमाम मौलाना शहीदुज्जमां की अध्यक्षता में लिया गया. 

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रिपोर्ट्स के अनुसार, मुज़फ़्फ़रपुर का ये मंदिर बहुत मशहूर है और सावन के आख़िरी सोमवार के दिन भी लगभग देढ़ से दो लाख कांवड़िया जल चढ़ाते हैं. 


दोनों ही पहलों की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है. 

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