जम्मू कश्मीर में अगस्त 2019 में केन्द्रीय सरकार ने धारा 370 हटा दी. इसके साथ ही आई इंटरनेट बैन, कर्फ़्यू का घुप्प अंधेरा, जिससे बाहरी दुनिया को सिर्फ़ वही मानना पड़ा जो सरकार ने दिखाना चाहा.
Associated Press के फ़ोटो जर्नलिस्ट्स, मुख़्तार ख़ान, यासीन दार और चन्नी आनंद को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते सोमवार को पुलित्ज़र बोर्ड एडमिनिस्ट्रेटर Dana Canedy ने YouTube Livestream के द्वारा अपने घर से ही विजेताओं का नाम घोषित किया. विजेताओं की पूरी लिस्ट आप यहां देख सकते हैं.
ख़ान, दार और आनंद ने सब्ज़ियों की टोकरियों में कैमरा छिपाकर, स्थानीय लोगों के घरों में छिपकर 370 हटने के बाद कश्मीरियों के रोष, सेना के जवानों के एक्शन और रोज़मर्रा के कश्मीरी जीवन को अपने कैमरे में क़ैद किया.
ये चुहे बिल्ली के खेल जैसा था. उन हालातों ने ही हमें कभी चुप न रहने का दृढ़ निश्चय करने के लिए प्रेरित किया. ये सिर्फ़ उन लोगों की कहानी नहीं है जिन्हें मैं शूट कर रहा था पर ये मेरी कहानी है. पुलित्ज़र की सूची में आना और दुनिया को अपनी कहानी सुनाना बड़े सम्मान की बात है.
-यासीन दार
मुझे अपनी आंखों पर यक़ीन नहीं होता था.
-चुन्नी आनंद
रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख़्तार ख़ान ने बताया कि सेना और स्थानीय लोग दोनों ही उन पर भरोसा नहीं करते थे.
बहुत मुश्किल था पर हम तस्वीरें खींचने में क़ामयाब रहे.
-मुख़्तार ख़ान
ये ख़बर ऐसे मौक़े पर आई है, जब पिछले ही महीने कश्मीर के तीन पत्रकारों पर UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) लगाया गया है. UAPA के तहत किसी को आतंकवादी करार देकर 7 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है. कश्मीरी पत्रकार, मसरत ज़हरा, पीरज़ादा आशिक़, और गौहर गिलानी पर UAPA लगाकर FIR कर दिया गया था. मसरत ज़हरा, एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और उन पर शांति भंग करने की कोशिश करने, अपराध को बढ़ावा देने और युवाओं का उकसाने का आरोप लगा. पीरज़ादा पर The Hindu में छपी एक रिपोर्ट के सिलसिले में FIR दर्ज की गई थी. उन पर फ़ेक न्यूज़ फैलाने का आरोप लगा. पुलिस का कहना था कि गिलानी सोशल मीडिया पोस्ट्स के ज़रिए ग़ैरक़ानूनी कामों में संलग्न थे.