लॉकडाउन के बीच सड़क हादसों का शिकार हुए प्रवासी मज़दूर, मां-बेटी समेत 4 की मौत

Abhay Sinha

देश में अलग-अलग जगहों पर हुई दुर्घटनाओं में कल शाम से लेकर आज सुबह तक चार मज़दूर अपनी जान गंवा चुके हैं, इनमें एक महिला और उसकी बेटी भी शामिल है. ये मज़दूर लॉकडाउन में फंसे थे और हज़ारों किमी का सफ़र कर अपने घर लौट रहे थे. 

महिला और उसकी बेटी महाराष्ट्र से पूर्वी यूपी के जौनपुर के बीच यात्रा करने वाले एक समूह का हिस्सा थे. वो ऑटो-रिक्शा से तीन दिनों में 1,300 किमी का लंबा सफ़र तय कर चुके थे. लेकिन जब वो फ़तेहपुर में अपने गंतव्य से कुछ ही दूर पर थे, तब ही एक ट्रक से टकरा गए. 

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वहीं एक अन्य घटना हरियाणा के अंबाला कैण्ट में हुई. यहां आज सुबह सड़क पर चल रहे दो मज़दूर तेज़ रफ़्तार एसयूवी का शिकार बन गए. एक मज़दूर की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दूसरे को घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है. 

बतौर पुलिस ये मज़दूर वापस अपने गृहराज्य बिहार लौट रहे थे. कथित तौर पर कार काफ़ी तेज़ चल रही थी, जिसकी वजह से ड्राइवर ने उस पर से अपना नियंत्रण खो दिया. कार को सीज़ कर दिया गया है, हालांकि, कार मालिक फ़रार हो गया. 

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इसी तरह की घटना यूपी के रायबरेली में भी हुई है. यहां 25 वर्षीय प्रवासी शिव कुमार दास पश्चिम यूपी के बुलंदशहर से बिहार में अपने गांव के साइकिल से एक ग्रुप के साथ जा रहे थे. लेकिन रास्ते में ही एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ब्रेक फेल होने के कारण कार नियंत्रण से बाहर हो गई. इस दुर्घटना में ड्राइवर भी घायल हुआ है और कार बुरी तरह से टूट गई है. 

बता दें, हज़ारों प्रवासी मज़दूर अभी भी पैदल, साइकिल, रिक्शा, ऑटो और ट्रक पर सवार होकर हज़ारों किमी की यात्रा करने को मजबूर हैं. सरकार उन्हें घर वापस लाने का दावा तो कर रही है, ट्रेनें भी चलाई जा रही लेकिन ये मज़दूर फिर भी हर जगह पैदल खिंचते दिखाई पड़ रहे हैं. जिन ट्रेनों, कारों पर ये मज़दूर चढ़ नहीं पाए वो अब इन मज़दूरों पर ही चढ़ने को आमादा हो गए हैं. 

हाल के हफ़्तों में कई प्रवासियों की इसी तरह मौतें हुई हैं. मध्य प्रदेश में यूपी के रास्ते में छह श्रमिकों की मौत हो गई जब एक ट्रक पलट गया. वहीं, इससे पहले, राजमार्ग से बचने के लिए रेलवे पटरियों पर चलने वाले 16 प्रवासियों को एक मालगाड़ी द्वारा कुचल दिया गया. ये मज़दर थक गए थे, उन्हें लगा था कि ट्रेनें नहीं चल रही हैं इसलिए वो पटरियों पर ही सो गए थे. 

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