बस में सीट ना मिलने की वजह से 8 महीने की गर्भवती की जान गई. और हम ख़ुद को इंसान कहते हैं?

Sanchita Pathak

शायद बड़े होते-होते हम सभी इंसानियत भूल गए हैं. हम इतने मतलबी हो गए हैं कि सामने वाले के दर्द को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं.

समाज की बेपरवाही का ख़ामियाज़ा केरल की महिला को अपनी जान गंवाकर चुकाना पड़ा. बुधवार को केरल के इराट्टुपेट्टा की Nadisha की मृत्यु हो गई. 8 महीने की गर्भवती Nadisha की मौत बस से गिरने के कारण हुई.

Nadisha पिछले शुक्रवार को अक्षय सेंटर गई थी, वहां से अपने घर लौटने के लिए उसने बस लिया. बस में कोई भी सीट खाली नहीं थी और न ही उस गर्भवती महिला को किसी ने बैठने की जगह दी. Nadisha बस में आगे के दरवाज़े पर ही खड़ी थीं और दरवाज़ा भी खुला था. ड्राइवर ने थोड़ी देर बाद टर्न लिया तो Nadisha का बैलेंस बिगड़ गया और वो बस से बाहर जा गिरीं. Nadisha के सिर पर चोट आई, उसके बच्चे को तो बचा लिया गया लेकिन वो ज़िन्दगी की जंग हार गई.

Business Insider

इराट्टुपेट्टा पुलिस ने बस के ड्राइवर को दफ़ा 279 और 304 के तहत हिरासत में le लिया.

केरल के नये Motor Vehicles Act के तहत बस में कम से कम एक सीट, गर्भवती महिला के लिए आरक्षित रखना अनिवार्य है. ड्राईवर ने इस नियम का भी उल्लंघन किया.

महिला की मौत के लिए सिर्फ़ ड्राईवर ही नहीं, उस बस के यात्री भी ज़िम्मेदार हैं.

एक सवाल हमें ख़ुद से पूछना चाहिए, आख़िरी बार हमने किसी के लिए कब सीट छोड़ी थी, ये प्रश्न पुरुषों को ही नहीं महिलाओं को भी ख़ुद से पूछना चाहिए. क्योंकि उस बस में महिलाएं भी रही होंगी. कुछ लोगों की बेपरवाही का नतीजा एक परिवार को भुगतना पड़ा, याद रखिये उस महिला की जगह कल को हमारा कोई अपना भी हो सकता है.

Source- The News Minute

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