कहते हैं कि हुनर और प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती. ऐसा ही एक उदाहरण यूपी की राजधानी लखनऊ से आया है. यहां एक 8 साल का बच्चा पढ़ने-लिखने में इतना होशियार है कि उसे यूपी बोर्ड ने 9वीं कक्षा में एडमिशन दिया है.
विलक्षण प्रतिभा के धनी इस छात्र का नाम राष्ट्रम आदित्य श्री कृष्ण है. इनके पिता पवन कुमार आचार्य, एक एस्ट्रोलॉजर हैं. उन्हें अपने बेटे की प्रतिभा का एहसास हुआ और वो एम.डी शुक्ला इंटर कॉलेज में अपने बेटे का एडमिशन 9वीं कक्षा में कराने पहुंच गए.
पहले तो स्कूल के शिक्षकों ने इसे हल्के में लिया, लेकिन जब राष्ट्रम ने प्रवेश परीक्षा पास कर ली, तो सभी हैरान रह गए. बच्चे की प्रतिभा को देखते हुए स्कूल द्वारा यूपी बोर्ड को आवेदन भेजा गया.
स्कूल के प्रिंसिपल एन.एन उपाध्याय ने कहा कि ‘बच्चे के टैलेंट को देखते हुए हमने बोर्ड को एक पत्र लिखा और बोर्ड की स्वीकृति मिलने के बाद ही सारी फ़ॉर्मैलिटी पूरी की गई है. स्कूल डिस्ट्रिक इंस्पेक्टर मुकेश कुमार ने राष्ट्रम को कक्षा 9वीं में सीधे दाखिले के लिए स्पेशल परमिशन दी है.’
जबकि नियमों के अनुसार यूपी बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में सिर्फ़ वही छात्र बैठ सकते हैं, जिन्होंने 14 साल की उम्र पूरी कर ली है. पर राष्ट्रम के टैलेंट को देखते हुए बोर्ड ने उन्हें कम उम्र में ही 10वीं की परीक्षा देने की अनुमति दे दी है. अब वो साल 2021 में बोर्ड की परीक्षा में बैठेंगे.
राष्ट्रम के पिता ने इस बारे में बात करते हुए कहा, ‘फ़िलहाल राष्ट्रम अपनी पढ़ाई पर फ़ोकस कर रहा है. प्राथमिक शिक्षा उसे घर पर मिली है. मैंने और पत्नी ने मिलकर घर पर ही उसकी पढ़ाई पर मेहनत की है. राष्ट्रम की मैथ्स और सोशल साइंस की समझ अच्छी है और योग व मेडिटेशन में भी वो पारंगत है. उसे हिन्दी और अंग्रेज़ी का भी ज्ञान है. कुछ हद तक वह फ़्रेंच भाषा भी जानता है.’
राष्ट्रम के पिता का कहना है कि इस उम्र के बच्चों का ध्यान खेलने में अधिक होता है. पर राष्ट्रम अलग है. उसका अधिकतर समय पढ़ाई करते हुए ही बीतता है.
लखनऊ से आयाविलक्षण प्रतिभा का ये पहला मामला नहीं है. इससे पहले साल 2007 में सुषमा वर्मा ने सबसे कम उम्र में बोर्ड की परीक्षा पास करने का रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने जब दसवीं पास की थी तब वो 7 साल की थीं. उनका ये रिकॉर्ड Limca Book of Records में भी शामिल किया गया था. सुषमा ने 13 साल की उम्र में ही बीएससी की परीक्षा पास कर ली थी.
देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, ज़रूरत है तो बस उन्हें प्रोत्साहित करने और सही दिशा देने की.