जिन ट्रेनों से सुरक्षित घर पहुंचने का आश्वासन मिला था, उन्हीं में हुई 80 श्रमिकों की मौत

Sanchita Pathak

देश में पैदल जाते मज़दूरों की समस्या को ज़रा कम करने के लिए भारतीय रेलवे ने 1 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें शुरू कीं.


इसके बावजूद सामान के साथ ही ट्रकों से, साईकिल से और पैदल मज़दूरों का घर जाना नहीं रुका. रेलवे स्टेशन के बाहर संक्रमण के ख़तरे को भूल सैंकड़ों मज़दूर रेलवे स्टेशन के बाहर भी दिखे.   

The Financial Express

रेलवे पुलिस फ़ोर्स (आरपीएफ़) द्वारा जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार, 9 मई से 27 मई के बीच श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 80 लोगों की मृत्यु हुई.


मज़दूरों की मौत की ख़बरें तो आ रही थीं लेकिन अधिकारियों की तरफ़ से रिपोर्ट पहली बार आई. ट्रेनों में कूल कितनी मौतें हुईं इसकी अंतिम सूची राज्यों से बात-चीत करने के बाद निकाली जायेंगी.  

Hindustan Times की रिपोर्ट के अनुसार, अलग-अलग राज्यों में 3,840 ट्रेनें चलाई गईं और जिनसे 50 लाख मज़दूर अपने घर पहुंचे. बीते बुधवार को रिपोर्ट आई थी कि बीते कुछ दिनों में इन ट्रेनों में 9 मज़दूरों की मौत हुई. रेलवे मंत्रालय ने ख़बरों पर सफ़ाई देते हुए कहा कि जिनकी मौत हुई, वो ‘पहले से बीमार’ थे. उनमें से कई लोग शहर, इलाज के लिए ही गए थे. रेल मंत्रालय ‘भूख, थकान, गर्मी से ट्रेनों में हो रही मौत’ वाली ख़बरों पर जवाब दिया.  

बीते शुक्रवार को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक स्टेटमेंट जारी करते हुए बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को श्रमिक ट्रेनों से सफ़र न करने की हिदायत दी. 

गंभार बीमारियों से ग्रसित लोग, गर्भवती महिलाएं, 10 से कम और 65 से ज़्यादा की उम्र वाले लोगों से मैं अपील करता हूं कि वो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से सफ़र न करें. सभी यात्रियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी रेलवे परिवार की है. 

-पीयूष गोयल

Deccan Herald

श्रमिकों के खाने-पीने की व्यवस्था में की ग़ैरसरकारी संस्थान और आम जनता लगे हुए हैं. इस बात की कई तस्वीरें और वीडियोज़ हमारे सामने हैं. 

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