हिन्दुस्तान में शादी किसी त्योहार से कम नहीं है. विवाह समारोह में तरह-तरह के ताम-झाम होते हैं. लोग इसे अपनी शान से भी जोड़ कर देखते हैं. इस वजह से हम अपनी औकात से ज़्यादा पैसे शादी के मौके पर ख़र्च कर देते हैं. मगर अब से ऐसा नहीं होगा. बेटे-बेटियों की शादी में शाहख़र्ची करने वाले लोग अपनी आदत सुधार लें तो ही अच्छा है, नहीं तो उन्हें बाद में महंगा पड़ेगा.
दरअसल, संसद में एक वेडिंग बिल पेश हुआ है. Compulsory Registration and Prevention of Wasteful Expenditure नाम से इस बिल को लाने वाली कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन हैं. ज्ञात रहे कि वो एमपी पप्पू यादव की पत्नी भी हैं.
यह अपने आप में एक अनूठा बिल है. अगर यह लोकसभा में पारित हो गया, तो किसी भी शादी में 5 लाख रुपये से ज़्यादा ख़र्च नहीं हो पाएंगे. इतना ही नहीं, मेहमानों की संख्या भी सीमित रहेगी. अगर इस क़ानून का उल्लंघन हुआ, तो किसी ग़रीब की बेटी की शादी करनी होगी.
उदाहरण के तौर पर शादी में अगर कोई 5 लाख रुपये से ज़्यादा ख़र्च करता है, तो उसे इस राशि का 10% ग़रीब परिवार की लड़की की शादी के लिए देना होगा.
साथ ही बिल में कहा गया है कि अगर ये बिल कानून में तब्दील होता है, तो सभी शादियों का 60 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा.
इस कानून पर सांसद रंजीत रंजन कहती हैं कि इसकी मदद से हम शादियों में हो रहे फ़ालतू ख़र्चों को रोक सकते हैं.
ये एक हक़ीकत भी है कि हम शादियों में ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च कर अपनी औकात दिखाने की कोशिश करते हैं. इसके लिए हम कर्ज़ भी लेते हैं. इस क़ानून से दहेज़ प्रथा पर अंकुश लगने की संभावना है. उम्मीद है कि संसद के दोनों सदनों में ये बिल पास हो जाए.