हिन्दुस्तान हो या पाकिस्तान, हर जगह चायवालों के अच्छे दिन आ रहे हैं. हिन्दुस्तान में एक चायवाला प्रधानमंत्री बन गया, वहीं पाकिस्तान में एक्टर. दरअसल, चाय चीज़ ही ऐसी है, जो लोगों को फर्श से अर्श तक पहुंचा देती है. चाय की चुस्कियों के साथ लोगों को बतकहियां कहना ख़ूब रास आता है. न जाने कितनी ऐसी कहानियां होंगी, जो चाय से जुड़ी हैं. नया साल आ चुका है, ऐसे में लोग उत्साहित भी हैं. चाय से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा हमारे पास भी है, जिसे पढ़ कर आपको अच्छा लगेगा.
दिल्ली के मयूर विहार फेस-1 मेट्रो स्टेशन से करीब 1 किलोमीटर दूर पीर बाबा की गली में एक शायर रहते हैं, जिनका नाम ‘चिराग़ राही’ है. ये अलग बात है कि लोग उनको इस नाम से नहीं जानते हैं और एक हक़ीक़त ये भी है कि ये कोई शायर नहीं हैं. अगर ग़लती से इनके बारे में जानने की कोशिश भी करेंगे, तो लोग इनके बारे में आपको जानकारी नहीं दे पाएंगे. हां, यदि आप लोगों से कहेंगे कि ‘छोटू’ कहां है, तो लोग एक चाय की दुकान की ओर इशारा कर आपको बता देंगे कि वो चायवाला ही ‘छोटू’ है. वहां पहुंचने पर एक मुस्कुराता हुआ चेहरा मिलेगा, जिसकी नज़र गैस चूल्हे पर खौलते चाय की ओर होगी. दरअलस, वो शायर ‘छोटू’ हैं, जिनकी चाय की दुकान है.
क्या आपके पास थोड़ा समय है? अगर है, तो पहले ये वीडियो देख लीजिए.
अब आप तो समझ ही गए होंगे कि छोटू भाई एक बेहतरीन शायर हैं, जो अपनी नज़्मों को चाय की दुकान पर कलम से उकेरते हैं. वे शब्दों को ऐसे गढ़ते हैं, मानो प्रकृति ने उन्हें इस फन का वरदान दिया हो.
शालीन और शांत स्वभाव इनकी पहचान है. चौराहे पर दुकान होने के कारण कई लोग, जो चाय नहीं भी पीने आते हैं, वो भी इनको राम-सलाम करते हैं. कम पढ़ा-लिखा होने के बावजूद इनकी ज़बान इतनी मीठी है कि उनकी दुकान से गुजरने वाले लोगों की तबीयत मीठी हो जाती है.
कहते हैं न कि प्रतिभा कभी भी किसी की मोहताज नहीं होती. ये ईश्वर द्वारा दिया गया तोहफ़ा होता है. पुराने ज़माने में लोग अनपढ़ होते हुए भी ज्ञानी होते थे. आज भी हम उनकी कही और लिखी बातों से सीख लेते हैं. हमें उम्मीद है कि नए साल के साथ ही इस अनमोल शायर की भावनाओं को कोई प्रकाशन किताब का रूप देगा. ताकि उनके दिल की आवाज़ सभी तक पहुंच सके और लोग एक चायवाले के दिल में जलते चिराग़ से उठती तपिश को महसूस कर सकें. ताकि आने वाली नस्लें उन्हें याद रखें.