हाल ही में कश्मीर में हुए भारी हिमस्खलन की वजह से वहां के हालात काफी ख़राब हैं. आपको बता दें कि बीते दिनों हुए हिमस्खलन की वजह से सेना के करीब 20 सैनिकों की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं, कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों में बिजली और दूर संचार लाइनें चालू तो कर दी गईं हैं, लेकिन फिर भी वहां के कुछ क्षेत्रों में अभी भी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है.
इस हिमस्खलन के समय की एक एक घटना सामने आ आई है. 25 साल के अब्बास, पठानकोट में तैनात थे, की मां सकीना बेगम भी अपने बेटे के साथ वहीं रहती थीं. लेकिन दुर्भाग्य वश उनका 7 दिनों पहले निधन हो गया. अब्बास का कहना है कि उनकी मां के निधन के बाद उनसे वायदा किया गया था कि जब वो अपनी मां के मृत शरीर को लेकर वापस कश्मीर लौटेंगे तब स्थानीय प्रशासन द्वारा हेलिकॉप्टर का बंदोबस्त किया जाएगा. लेकिन हर बार की तरह सरकार और प्रशासन का यह वादा भी खोखला ही निकला.
अब्बास ने एनडीटीवी को बताया, ‘प्रशासन हमें लाश के साथ इंतजार कराता रहा, लेकिन हेलिकॉप्टर नहीं भेजा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये बहुत ही शर्मिंदगी वाली बात एक देश के प्रशासन और सरकार के लिए. मैं अपनी मां को ढंग से दफन भी नहीं कर पा रहा हूं.’
आपको बता दें कि बीते गुरुवार को जब कश्मीर के इस युवा सैनिक को कोई मदद नहीं मिली तो उसने अपनी मां की लाश को कंधे पर लादकर गांव की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया. अब्बास के साथ उनके कुछ रिश्तेदार भी थे और ये सब एलओसी के पास स्थित उनके गांव जा रहे थे.
हालांकि, अपने घर पहुंचकर मां को वहां दफनाने के लिए, मोहम्मद अब्बास नाम के इस सैनिक को उस रास्ते से गुजरना पड़ा, जहां पिछले कुछ दिनों से भारी बर्फबारी हो रही है. अब्बास को अपने गांव पहुंचने के लिए करीब 50 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी पड़ी, जिसमें उसको लगभग 10 घंटों का समय लगा. गौरतलब है कि गांव पहुंचने के लिए उन्होंने जिस हाइवे का इस्तेमाल किया, वो करीब 6 फीट की बर्फ में घिरा हुआ था.
एनडीटीवी के अनुसार, अब्बास ने बताया कि यह एक बेहद ही खतरनाक ट्रैक है और मां की लाश को लेकर इसे पार करने में हमको कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हमको जिस रास्ते से जाना था वहां पर हिमस्खलन का खतरा ज्यादा होता है.
वहीं कुपवाड़ा जिले के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने गुरुवार को ही हेलिकॉप्टर का इंतजाम किया था. एक अधिकारी ने कहा कि हमने एक चॉपर का इंतजाम किया था, लेकिन अब्बास और उसके परिवार ने यह कहकर सुविधा लेने से इनकार कर दिया कि उन्हें मौसम की समझ नहीं है और पता नहीं कि हेलिकॉप्टर उड़ान भर पाएगा या नहीं.
जबकि जवान ने सरकार के दावों से इनकार करते हुए कहा कि हम चार दिन तक सरकार की मदद का इंतजार किया. यहां तक कि गुरूवार की सुबह, कुपवाड़ा में अधिकारियों ने फोन उठाना भी बंद कर दिया था.