तिल-तिल कर मरते 12 साल के बेटे को दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए ये पिता मांग रहा है इच्छा-मृत्यु

Vishu

अमरेली में रहने वाले दिनेश मैसूर्या और उनके परिवार के लिए एक बेहद दुर्लभ खुशी का लम्हा तब आया था जब पीएम मोदी ने उनके 12 साल के बेटे के लिए मुफ़्त मेडिकल उपचार की व्यवस्था कराई थी.

लेकिन ये खुशी भी कुछ ही पलों की मेहमान थी.

इस घटना के ठीक एक साल बाद दिनेश ने एक बार फिर पीएम मोदी को पत्र लिखा है, लेकिन ये पत्र उपचार के लिए नहीं, बल्कि अपने ही बेटे के लिए इच्छा मृत्यु की डिमांड के लिए लिखा गया है.

डायमंड पॉलिशर दिनेश मैसूर्या और उनका परिवार दुखों के पहाड़ से गुज़र रहा है. दिनेश का बेटा एक ऐसी दुर्लभ लाइलाज बीमारी से गुज़र रहा है जिसमें उसे हर मिनट 8 से 10 इंजेक्शंस झेलने होते है और वक्त के साथ-साथ उसकी हालत ख़राब होती जा रही है.

पार्थ को Subacute Sclerosing Panencephalitis (SSPE) नाम की बीमारी है. ये एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें मरीज़ मूवमेंट पर अपना कंट्रोल खो देता है. इस बीमारी के चलते मरीज़ का बिहेवियर भी अजीबोगरीब हो सकता है.

दिनेश ने अपने बेटे की इच्छामृत्यु के लिए अनुमति मांगते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा.

‘किसी भी मां-बाप के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता कि उन्हें अपने बच्चे को हर रोज़ तड़पता हुआ देखना पड़े. लगभग दो साल हो चुके हैं और रोज़ उसकी बेबसी और दयनीय हालत देखकर बहुत दुख होता है.’

इससे पहले पार्थ को दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन यहां आकर भी उसकी स्थिति में कोई ख़ास बदलाव नहीं आया. पार्थ की ट्रीटमेंट का ज़िम्मा फ़िलहाल अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के डॉक्टर्स के हाथों में है. एम्स के डॉक्टरों के कहने पर ही उसे अहमदाबाद के डॉक्टर्स को रेफर किया गया था. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ये बीमारी (SSPE) लाइलाज है.

जब पार्थ के पिता को पता चला कि उनका बेटा एक लाइलाज बीमारी से जूझ रहा है तो उन्होंने पार्थ को मेडिकल प्रयोगों के लिए दान करने का फ़ैसला किया. उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे के बाद कोई दूसरा बच्चा भी इसी तरह तिलतिल कर मरता रहे इसलिए मैं अपने बच्चे को डॉक्टर्स के हवाले करना चाहूंगा ताकि वो इस लाइलाज बीमारी के लिए कोई दवा तैयार कर सकें और अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं अपने बेटे के लिए इच्छा मृत्यु मांगना चाहूंगा.

डॉक्टर्स के मुताबिक, जैसे-जैसे ये बीमारी स्टेज 2 की तरफ़ बढ़ती है, मानसिक संतुलन बिगड़ने के चांसेस बढ़ जाते हैं. Spasms चलने और बोलने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है.

अपने बेटे की बीमारी पर अपना सब कुछ खर्च कर चुके पिता दिनेश ने कहा कि ‘पार्थ केवल लिक्विड डाइट के सहारे ज़िंदा है. वो खाना नहीं खा सकता, वो चल नहीं सकता और उसे हर मिनट 8 से 10 इंजेक्शंस लगाने पड़ते हैं जो पूरा दिन चलता है. उसकी ये हालत पिछले 15 महीनों से है और हम चाहते हैं कि उसकी पीड़ाओं का अंत हो जाए.’

Source: TOI

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