एक अजय की ज़िन्दगी बचाने के लिए एक आरिफ़ ने तोड़ा रोज़ा. क्या पूरे देश में ऐसा नहीं हो सकता?

Sanchita Pathak

देश में बहुत कुछ हो रहा है. ज़मीनी स्तर और सोशल मीडिया पर जाति, लिंग, भाषा और खान-पान के नाम पर जो कुछ भी हो रहा हो, लेकिन नेक़दिल लोग आज भी हैं. असलियत में भी और सोशल मीडिया पर. सोशल मीडिया का एक तबका ऐसा भी है, जो इंसानियत और मोहब्बत के लिए हर हद पार करने को तैयार रहता है. शायद इन्हीं के कारण धरती का बैलेंस आज भी पूरी तरह बिगड़ा नहीं है.

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नेक़दिली के क़िस्सों में एक और क़िस्सा आज पढ़ लीजिये.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून. किसी भी आम युवा की तरह अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहा था, 20 साल का अजय बिलावलम. एक दिन अचानक वो बीमार पड़ गया, डॉक्टर्स ने बताया कि उसे Leprosy हो गई है. अजय के खून में Platelets की संख्या तेज़ी से गिरने लगी थी और उसे A+ ब्लड की ज़रूरत थी.

O+ खून की ज़रूरत है, बच्चे की ज़िन्दगी बचाने लिए A+ खून की शीघ्र दरकार है. इस तरह के कई Message हमारी आंखों से गुज़रते हैं. लेकिन हम में से कितने हैं, जो इस Message को देख कोई कदम उठाते हैं.

अपने बेटे की ज़िन्दगी यूं अस्पताल में ख़त्म होती देख अजय के पिता से रहा न गया. उन्होंने सोशल मीडिया पर अजय की हालत और खू़न की तुरंत ज़रूत की बात लिख डाली.

अजय की हालत और खून की ज़रूरत वाला Message आरिफ़ को भी मिला, WhatsApp पर. बहुत से लोगों से अलग जाकर, National Association For Parents and Students के प्रेसिडेंट आरिफ़ ने अजय के पिता से संपर्क किया और मदद करने की पेशकश की.

Mens XP

आरिफ़ जैसे ही अस्पताल पहुंचा, डॉक्टर्स ने उसे रक्तदान करने से पहले कुछ खाने को कहा. आरिफ़ ने रोज़े रखे हुए थे और वो बिना कुछ खाए रक्तदान करना चाहता था, लेकिन डॉक्टर्स नहीं माने.

तब आरिफ़ ने अजय की ज़िन्दगी बचाने के लिए रोज़े तोड़कर रक्तदान करने का निश्चय किया.

Mens XP की रिपोर्ट के अनुसार, रक्तदान करने के बाद आरिफ़ ने कहा,

अगर मेरे रोज़े तोड़ने से किसी की ज़िन्दगी बच जाती है तो मैं इंसानियत को पहले रखूंगा. रोज़े तो बाद में भी रखे जा सकते हैं, ज़िन्दगी क़ीमती है. रमज़ान में ज़रूरतमंद की मदद करना सबसे पाक काम है. ये मेरे लिए फ़क्र की बात है कि मैं किसी की मदद कर पाया.

आरिफ़ जैसे लोग हर जगह हैं… ये वो लोग हैं, जो इंसानियत को पहले और धर्म को बाद में तवज्जो देते हैं. एेसे ही लोग इंसानियत का झंड़ा बुलंद करके चलते हैं.

आरिफ़ हम सभी के लिए एक मिसाल है और हम उम्मीद करते हैं कि अजय की तबीयत भी जल्द से जल्द ठीक हो जाए.

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