यूं तो भारत में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं. सभी त्योहारों का अपना एक मतलब होता है. हम आज आपको एक ऐसे त्योहार के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने कभी सुना भी नहीं होगा. दरअसल, ये त्योहार सबसे ख़ास है, जिसे तमिल समुदाय के लोग मनाते हैं. इतना ही नहीं, इस त्योहार को मलेशिया मे भी मनाया जाता है. वो भी बड़े धूमधाम के साथ.
इस त्योहार का नाम ‘थाइपुसम’ है. यह त्योहार बहुत ही ख़ास त्योहार है, जिसे ‘कांवड़’ के नाम से भी जानते हैं. एक मान्यता के अनुसार, इस दिन पार्वती मां ने एक राक्षस सूरापद्नम का वध किया था. इस त्योहार का असली मक़सद ख़ुद को तकलीफ़ देना है. लोग दर्द सहकर भगवान को ख़ुश करते हैं.
हमेशा की तरह इस बार भी चेन्नई की सड़कों पर इसकी उल्लास देखने को मिला. कुछ और पढ़ने से पहले इन तस्वीरों को देखिए.
अपने शरीर में लोहे की तार से सुराख कर रहे हैं. यह काफ़ी असहनीय दर्द है.
ये कोई छोटा-मोटा त्योहार नहीं बल्कि तामिलनाडु का सबसे बड़ा त्योहार है. इस त्योहार में हज़ारों की संख्या में पुरूष और महिलाएं शामिल होते हैं. लोग बाकायदा एक बेहद बड़ी रथ यात्रा निकालते हैं.
इस तरह के नज़ारे आप मलेशिया में भी देख सकते हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि यहां करोड़ों भारतीय मूल के निवासी रहते हैं, जो इस पूजा को मनाते हैं. इस त्योहार को श्रीलंका, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका में भी काफ़ी धूमधाम से मनाई जाती है. इन देशों में तमिल हिन्दुओं आबादी ज़्यादा है. इस वजह से लोग इस त्योहार को मनाते हैं.
यह त्योहार ईश्वर पर विश्वास और आस्था का है. भक्तों को लगता है कि भगवान ही मालिक हैं. वही इस धरती पर सुख-दुख तय करते हैं. लोग अपने शरीर के हरेक अंगों को काफ़ी चोट पहुंचाते हैं. भक्तों को ईश्वर पर विश्वास है. ऐसा कर के वे ख़ुद को भगवान के बहुत समीप पाते हैं.
ना जाने दुनिया में कितनी ऐसी परंपराएं हैं, जिनसे लोग भगवान के बहुत क़रीब पहुंचते हैं.