रविवार को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सेना और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में 6 आतंकवादी मारे गए. इस एनकाउंटर में भारतीय सेना के जवान लांस नायक नज़ीर अहमद वानी भी शहीद हो गए. फ़ौज में भर्ती होने से पहले वानी आतंकवादी थे. वो हिंसा का रास्ता छोड़कर भारतीय सेना में शामिल हो गए.
शहीद लांस नायक नज़ीर अहमद वानी का शव कल अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव अशमुजी लाया गया था. तिरंगे मे लिपटे उनके शव को गांव वालों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी. उन्हें दफनाते वक़्त सेना की तरफ़ से 21 बंदूकों की सलामी दी गई.
कुलगाम ज़िले में जहां इनका गांव वो इलाका आतंकवादी गतिविधियों के लिए कुख्यात है. यही कारण है कि शहीद वानी भी आतंकवाद के रास्ते चल दिए थे. मगर बाद में उन्हें अपनी ग़लती का एहसास हुआ और उन्होंने 2004 में आत्मसमपर्ण कर दिया था.
इसके बाद शहीद वानी ने सेना में भर्ती हो गए. उनकी पहली पोस्टिंग सेना की 121 बटैलियन में हुई थी. साल 2007 में और इसी साल अगस्त में वानी को उनकी वीरता के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया था. वो अपने पीछे पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए हैं.
रविवार को हुई इस मुठभेड़ में हिजबुल और लश्कर-ए-तैयबा के 6 आतंकी ढेर हुए. इसी दौरान लांस लायक वानी आतंकियों की गोली से घायल हो गए थे. उन्हें जख़्मी हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया.