हिम्मती एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने ब्यूटी पेजेंट में कैटवॉक कर दिया आत्मविश्वास का परिचय

Komal

ज़िंदादिल एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ActionAid के ब्यूटी पेजेंट में कैटवॉक कर के आत्मविश्वास का परिचय दिया. इन बहादुर प्रतिभागियों ने इस मौके पर महिला सशक्तिकरण का मज़बूत सन्देश दिया.

ActionAid नाम की ब्रिटिश चैरिटी द्वारा आयोजित किये गए इस अनोखे फैशन शो में, ख़ास प्रतिभागियों ने अपना अतीत भुला कर आगे बढ़ने की सीख दी.

खूबसूरती केवल बाहरी नहीं होती, अंदरूनी भी होती है. इस बात को साबित करते हुए 15 प्रतिभागियों ने कैटवॉक की. ढाका में आयोजित हुआ ये इवेंट, एसिड अटैक के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था.

इसमें भाग लेने वाली मॉडल्स पर तेज़ाब डालने वालों ने सोचा था कि इस घिनौनी हरकत के बाद वो बिखर जाएंगी, लेकिन ये बहादुर महिलाएं और निखर के सामने आई हैं. 13 वर्षीय सोलानी खातून पर, बहुत छोटी उम्र में ही ज़मीन के विवाद के चलते तेज़ाब डाल दिया गया था.

सोनाली बताती है कि इसके बाद उसे आठ ऑपरेशनों से गुज़रना पड़ा था और तीन साल तक इलाज कराना पड़ा था. उस पर तेज़ाब डालने वाले इतना करने के बाद भी उसके सपने नहीं तोड़ पाए, सोनाली डॉक्टर बनना चाहती है.

आसमा खातून 33 साल की हैं. 2008 में उन पर, उनकी एक साल की बेटी पर और उनके परिवार के दो अन्य सदस्यों पर किसी ने तेज़ाब डाल दिया था. ऐसा करने वालों को कभी पकड़ा नहीं जा सका और उनके परिवार को बहुत कुछ झेलना पड़ा. इस सबके बावजूद, वो आत्मविश्वास के साथ इस इवेंट में हिस्सा ले रही हैं.
गंगा दासी जब 17 साल की थी, तब उन पर किसी ने तेज़ाब फेंक दिया था. उनकी गलती बस इतनी थी कि उन्होंने एक आदमी का शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था. उसके बाद उन्हें संभलने में बहुत समय लगा, पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.

इस शो का नाम था ‘Beauty Redefined’. वाकयी ये हिम्मती औरतें खूबसूरती की परिभाषा बदलती नज़र आ रही थीं.

ActionAid के मालिक फराह कबीर ने कहा कि इन मॉडल्स ने बहुत लम्बा और मुश्किल सफ़र तय किया है. ये भी हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं और इन्हें मुंह छुपा कर रहने की कोई ज़रुरत नहीं है. ये शो उनके व्यक्तित्व की शक्ति दिखाने के लिए है, वो सबके लिए प्रेरणा बन सकती हैं.

सभी सर्वाइवर्स ने संकल्प किया है कि अब वो छुप कर नहीं रहेंगी और एक आम लड़की की तरह अपनी ज़िन्दगी गर्व से जियेंगी.

एसिड अटैक के खिलाफ़ कड़े कानून होने के बावजूद, बांग्लादेश में इस तरह के हमले होना जारी हैं. 2016 में 44 लोगों पर हमला हुआ. 

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