साल 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दर्द आज भी कई लोगों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो बंटवारे के दौरान करीब 2 लाख लोग मारे गए, जबकि इससे कहीं ज़्यादा लोग अपनों से हमेशा के लिए बिछड़ गए थे.
राजस्थान के श्रीगंगानगर के रहने वाले रणजीत सिंह भी उन्हीं बदनसीब लोगों में से एक हैं, जिन्होंने बंटवारे के दौरान अपना सब कुछ खो दिया था. इस दौरान उनकी 4 साल की बहन भज्जो भी परिवार से बिछड़ गई थीं, लेकिन सोशल मीडिया की वजह से अब 72 साल बाद आख़िरकार उन्हें उनकी बहन मिल ही गयी हैं.
बहन पाकिस्तान के पीओके में, जबकि भाई भारत के राजस्थान में है
सोशल मीडिया ने सरहदों को ख़त्म कर 72 साल पहले बिछड़े भाई-बहन को मिलवा ही दिया है. बीते रविवार को भाई रणजीत सिंह के परिवार ने भज्जो और उसके परिवार से वीडियो कॉलिंग के ज़रिए बात की. वो इस समय पाकिस्तान के पीओके में अपने परिवार के साथ रह रही हैं, लेकिन भज्जो अब शकीना बन चुकी हैं. बिछड़ी उसकी बड़ी बहन भज्जो अब पाकिस्तान में शकीना है, जिनके अब चार बच्चे हैं.
दरअसल, साल 1947 में कश्मीर के ददुरवैना गांव में रहने वाले मतवाल सिंह का परिवार क़बायली हमले में बेघर हो गया था. इस दौरान उनकी 4 साल की पोती भज्जो परिवार से बिछड़ गई थी. मतवाल सिंह के पोते रणजीत सिंह अपने परिवार के साथ अब राजस्थान के रायसिंह नगर में रहते हैं.
इन लोगों ने पुंछ में रहने वाले बिछड़े लोगों को मिलाने के लिए सोशल मीडिया पर एक ग्रुप बनाया हुआ है.
इस दौरान एडवोकेट हरपाल सिंह का कहना था कि, रणजीत सिंह उसके घर आए थे. इस दौरान उन्होंने 1947 में बिछड़ी बहन भज्जो के बारे में बताया. उन्होंने अपने एक वॉट्सएप ग्रुप के बारे में भी बताया, जिसमें पीओके और कश्मीर के पुंछ में रहने वाले कई लोग जुड़े हुए हैं. इस वॉट्सएप ग्रुप के ज़रिए ही उन्हें पता चला कि उनकी बहन भज्जो अब शकीना के नाम से पाकिस्तान में रह रही हैं.
आख़िरकार 72 साल बाद ये दोनों परिवार जल्द ही करतारपुर में मिलने की योजना बना रहे हैं. ये दोनों परिवार राजस्थान के रायसिंह नगर के रहने वाले एडवोकेट हरपाल सिंह सूदन, जबकि पाकिस्तान के पीओके में रहने वाले जुबैर और पुंछ की रहने वाली रोमी शर्मा की बदौलत मिल सके हैं.