सोशल मीडिया की अपनी ताक़त है और इस ताक़त का एहसास एक बार फिर हुआ जब लोगों ने ‘बाबा का ढाबा’ चलाने वाले वृद्ध दंपत्ति की मदद की. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते देश के लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी पर संकट छाया हुआ है. इनमें से सबसे प्रभावित फ़ुटपाथ पर अपनी दुकान लगाने वाले और छोटे बिज़नेस चलाने वाले लोग हैं.
सोशल मीडिया पर मदद की पुकार के बाद अब ‘बाबा का ढाबा’ ज़ोमैटो पर भी आ गया है. मगर ये कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती. देश के अलग-अलग हिस्सों में लाखों लोगों की यही कहानी है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर सोशल मीडिया यूज़र्स इनकी मदद करने के लिए गुहार लगा रहें हैं
1. रायपुर की ये 65 वर्षीय महिला 20 रुपये में छोले भटूरे बेचती हैं.
महामारी के कारण ये आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं और संघर्ष करने को मज़बूर हैं.
2. असम में नंद सायका एक छोटा फ़ूड स्टाल लगाते हैं और चिकन पकोड़े, आलू चाप, जैसी चीज़ें बनाते हैं.
वो एक हांथ से ही ये सब करते हैं.
3. आगरा में कांजी वड़ा बेचने वाले इस 90 वर्षीय व्यक्ति कमाई और बचत महामारी के चलते चली गई है.
महामारी के चलते अब वो प्रति दिन केवल ₹200-₹300 ही कमा पाते हैं.
4. फ़रीदाबाद में ये बुज़ुर्ग व्यक्ति एक छोटा सा स्टॉल लगाते हैं, जहां मिलते हैं टेस्टी पकोड़े
अभी के हालात को देखते हुए वो ज़्यादा नहीं कमा पा रहें हैं. यदि आप वहां जाने कि सोच रहें हैं तो उनके फ़ूड स्टॉल का नाम ‘बंगाली पकोड़े वाला’ है.
5. ये महिला गुजरात में ‘मौसी का ढाबा’ चलाती हैं, मगर महामारी के कारण अब बहुत कम ग्राहक आते हैं.
आप पूछेंगे मेन्यू में क्या है? चाय, कॉफ़ी, पोहा, रोटी-सब्जी और दाल-चवाल सब मिलेगा आपको यहां. पता: सुलेमानी कॉम्प्लेक्स के सामने, प्रतापनगर, वडोदरा, गुजरात
6. Covid-19 के चलते एक मल्टीनेशनल कंपनी से नौकरी जाने के बाद नोएडा के रवि को एक फ़ूड स्टॉल शुरू करना पड़ा.
पता: ब्लॉक ए, सेक्टर 19, नोएडा
7. अहमदाबाद में एक छोटी सैंडविच की दुकान चलाने वाले 65 वर्षीय जीतू काका को सहायता की ज़रूरत है.
महामारी के कारण जीतू काका की आमदनी कम हो गयी है. उनके स्टॉल का नाम जयवीर सैंडविच है, जहां आपको कई तरह के सैंडविच और चाट टेस्ट करने को मिलेंगे.
8. केरल की ये बुजुर्ग महिला अपने परिवार का पेट पालने के लिए एक ढाबा चलाती है.
लेकिन ग्राहकों के न होने चलते उनकी आमदनी नहीं हो रही है और अपना परिवार आर्थिक संकट में है. पता: मन्नारकाड के पास, करिंबा में पार्वतीम्मा भोजनालय
9. यह बुजुर्ग महिला पकौड़े बेचकर अपना गुज़ारा चलाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन ग्राहक कम है.
इनके पास एक अदद फ़ूड स्टाल भी नहीं है. पकौड़े बेचकर वो अपने परिवार का भरण-पोषण की कोशिश में हैं. बस दरकार है ग्राहकों की.
10. दीये बनाने वाले इन स्थानीय कलाकारों को दरकार है थोड़ी सी मदद की
त्योहारों के इस सीजन में अच्छा होगा कि आप इन्हें याद रखें और इनसे कुछ ख़रीदारी करें क्योंकि महामारी ने इनके बिज़नेस पर भी चोट की है. आपकी थोड़ी सहायता इनके घर का दिया रौशन रखेंगी.
बुरे वक़्त में खुले दिल से इन लोगों की मदद कीजिए और लोगों को भी बताइए.