दुनिया के 200 से अधिक देश इन दिनों कोरोना वायरस से प्रभावित हैं. ऐसे में कोरोना वायरस के इलाज़ में प्रभावी मलेरिया की दवा ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ और ‘पैरासिटामॉल’ जैसी दवाओं की मांग काफ़ी तेज़ी से बढ़ गई है.
बीते सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से अनुरोध किया था कि अमेरिका ने ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ ख़रीद का जो ऑर्डर दिया है, भारत उसे जल्द से जल्द निर्यात करे. इस दौरान ट्रंप ने धमकी भरे अंदाज़ में कहा था कि अगर भारत कोरोना वायरस से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण दवा का निर्यात नहीं करता है तो उसे अमेरिका का बदला झेलना पड़ेगा.
इसके बाद मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा कि, कोरोना महामारी से इस वक्त भारत समेत विश्व के तमाम देश जूझ रहे हैं. संकट के इस दौर में मानवीय आधार पर हमने फ़ैसला लिया है कि अमेरिका समेत सभी पड़ोसी देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामॉल दवाओं की पर्याप्त मात्रा में सप्लाई की अनुमति दी जाएगी.
दरअसल, अमेरिका, ब्राज़ील, स्पेन और जर्मनी समेत 30 देशों द्वारा कोरोना संकट के बीच ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ के निर्यात के लिए अनुरोध किया गया है और इनमें से अधिकतर देशों ने भारत से बैन हटाने की मांग की थी. इसके बाद भारत सरकार ने बैन हटाने का फ़ैसला लिया है.
भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा निर्यातक
आख़िर क्यों दी जा रही है कोरोना के मरीज़ों को ये दवा?
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साइड इफ़ेक्ट