इस साल की शुरुआत में दिल्ली के ‘शाहीन बाग़’ इलाक़े में लोगों ने मोदी सरकार के CAA और NRC का जमकर विरोध किया था. लाखों लोग इसके विरोध में महीनों तक धरने पर बैठे रहे. इस दौरान कई सामाजिक संस्थाओं और आम लोगों ने प्रदर्शनकारियों के खाने-पीने का पूरा ख़याल रखा था, लेकिन कुछ लोगों ने प्रदर्शनकारियों को ‘बिरयानी’ परोसे जाने को ‘राष्ट्रीय मुद्दा’ बना दिया था.
‘बिरयानी’ फिर हुई बदनाम
देश में इन दिनों कोरोना के अलावा ‘कृषि कानून’ के ख़िलाफ़ किसानों का विरोध प्रदर्शन भी ज़ोरों पर है. ऐसे में ‘बिरयानी’ एक बार फिर से बदनाम हो रही है. भूखे-प्यासे किसान प्रदर्शनकारियों को जो बिरयानी परोसी जा रही है उससे किसानों का भला न चाहने वालों को ख़ूब मिर्ची लग रही है.
किसान ‘बिरयानी’ कैसे खा सकता है? ये बात उन्हें पच नहीं रही है. दरअसल, इन लोगों को किसानों का दुःख नहीं, बल्कि मदद में मिली ‘बिरयानी’ ज़्यादा अखर रही है. सोशल मीडिया पर आपको इस तरह सैकड़ों लोग मिल जाएंगे जो न केवल ‘किसानों’ को बल्कि ‘बिरयानी’ को भी ‘एंटी नेशनल’ घोषित करने पर तुले हुए हैं.
दरअसल, बीते रविवार को दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद के ‘गाज़ीपुर बॉर्डर’ पर कुछ सामाजिक संस्थाओं ने भूखे प्यासे किसान प्रदर्शनकारियों को ‘बिरयानी’ परोसी थी. इस दौरान कुछ लोगों ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर ग़लत संदेश के साथ इसे वायरल कर दिया. कुछ लोगों ने तो इसे ‘शाहीन बाग़ 2.0’ तक कह डाला.