मुस्लिम शादी दो लोगों के बीच का एक कॉन्ट्रैक्ट है, जिसे सिर्फ़ पति की मर्जी से नहीं तोड़ा जा सकता- HC

Sumit Gaur

इन दिनों में अख़बार से लेकर न्यूज़ चैनलों तक हर तरफ़ तीन तलाक़ का मुद्दा ही छाया हुआ है. सरकार द्वारा शुरू किये गए इस बहस में स्वंय सेवी संस्थाओं के अलावा चिंतक और आलोचक भी अपनी राय रख रहे हैं.

ऐसे ही एक मामले की सुनवाई करते हुए अलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि ‘शादी आपसी समझौते से लिया गया एक फ़ैसला है, जिस पर केवल पति की राय से ही तलाक़ नहीं हो सकता. तलाक़ लेने के लिए पत्नी की राय भी उतनी ही मायने रखती है, जितनी कि पति की.’

ख़बरों के मुताबिक, महिला ने कोर्ट में पति के ख़िलाफ़ दहेज की वजह से तलाक़ देने का आरोप लगाया था. इस केस की सुनवाई 19 अप्रैल को ही खत्म हो चुकी थी, पर कोर्ट ने अपना फ़ैसला मंगलवार को सुनाया.

इस्लामिक विद्वान पहले भी इस मुद्दे पर सरकार का विरोध कर चुके हैं. सरकार द्वारा तीन तलाक़ के मुद्दे के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है, जिसकी सुनवाई 5 न्यायाधीशों वाली एक बैंच कर रही है.

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