विपक्षी दलों, देशवासियों के विरोध के बीच आधी रात को लोक सभा में पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल

Sanchita Pathak

विवादित नागरिकता संशोधन बिल 2019 (Citizenship Amendment Bill- CAB) कल देर रात लोक सभा में पारित हो गया. बीते सोमवार को देर रात तक बिल पर बहसबाज़ी हुई. वोटिंग में बिल के पक्ष में 311 वोट थे और बिल के विरोध में 80. बिल को लोक सभा से हामी मिलने के बाद बुधवार, यानी कल ये राज्य सभा में पेश किया जायेगा. 

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क्या है इस बिल में? 


नागरिकता संशोधन बिल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़गानिस्तान में धर्म की वजह से ज़ुल्म झेल रहे ग़ैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने की पेशकश करता है. 
1955 के नागरिकता कानून में संशोधन के लिए ये बिल लाया गया है. इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़्गानिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई ग़ैरकानूनी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने की पेशकश करता है. 

इससे ये साफ़ हो जाता है कि इन धर्मों के अलावा कोई समुदाय, कोई ग्रुप नागरिकता के लिए आवदेन नहीं दे सकता. 

लोक सभा में 7 घंटे से ज़्यादा समय तक चली तीखी बहसबाज़ी के बाद इस बिल को पारित कर दिया गया.   

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इन राज्यों को बिल से रखा गया है अलग 


ये बिल संविधान के 6ठे Schedule के क्षेत्रों पर यानी असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम पर लागू नहीं होगा. जिन राज्यों के पास Inner Line Permit Regime है यानी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम, ये बिल उन पर भी लागू नहीं होगा. 

क्यों हो रहा है बिल का विरोध 


बिल के विरोध में भाषण देते हुए कल एआईएमआईएम के नेता असदउद्दीन औवेसी ने इसे लोक सभा में फाड़ दिया. 

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इस बिल में 6 धर्मों के लोगों के बारे में कहा गया है पर मुसलमानों के बारे में नहीं. कुछ लोगों का मानना है कि ये मुस्लिमों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाता है और दूसरे धर्मों को प्राथमिकता देता है. कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कल बहस के दौरान ये कहा कि ये संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है, जिसे गृहमंत्री ने खारिज किया.

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बिल के विरोध में कई उत्तरपूर्वी राज्य खड़े हो गए हैं. यहां के नागरिकों का मानना है कि ग़ैरकानूनी प्रवासियों को बसाने से वहां के डेमोग्राफ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और रोज़गार के अवसर भी कम हो जायेंगे.   

बिल के पक्ष में सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया- 

बिल के विरोध में सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया- 

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