अकाउंट फ़्रीज़ होने के बाद एमनेस्टी ने भारत में बंद किया काम, सरकार पर लगाया पीछे पड़ने का आरोप

Abhay Sinha

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया, एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था है. इसने मंगलवार को भारत में अपना काम बंद कर दिया. संस्था ने सरकार पर ‘Witch-Hunt’ का आरोप लगाया है, जिसका मतलब है पीछे पड़ जाना. 

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संस्था का कहना है कि इस साल की शुरुआत में भारत सरकार ने उसके अकाउंट फ़्रीज़ कर दिए थे, जिसके चलते उसे अपना ज़्यादातर स्टाफ़ निकालना पड़ा. वहीं, इस मामले पर सरकार का कहना है कि संस्था ने Foreign Contribution (Regulation) Act (FCRA) के नियमों का उल्लंघन किया है. जिसके चलते ये कार्रवाई की गई है. FCRA के तहत किसी भी संस्था को विदेशी फ़ंडिंग के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जबकि सरकार के मुताबिक एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने ऐसा नहीं किया. 

वहीं, एमनेस्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने संस्था पर ये कार्रवाई इसलिए की है, क्योंकि संस्था लागातार मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को उजागर कर रही है. उसका कहना है कि हाल के महीनों में संस्था ने सरकार में पारदर्शिता की मांग, दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस की भूमिका की जवाबदेही तय करने की मांग और दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों को उल्लंघन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है, इसीलिए सरकार ने ये कार्रवाई की है. 

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संस्था ने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि, ‘भारत सरकार की ओर से एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक अकाउंट्स को पूरी तरह से फ्रीज़ कर दिया है, जिसकी जानकारी संस्था को 10 सितंबर को हुई है. इससे संस्था का कामकाज पूरी तरह से बंद पड़ गया है.’ इसके साथ ही संस्था ने दावा किया है कि उसने सभी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन किया है.

एमनेस्टी पर है FCRA नियमों के उल्लंघन का आरोप

एमनेस्टी पर आरोप है कि उसने विदेशी फ़ंडिंग हासिल करने में नियमों को पालन नहीं किया. प्रवर्तन निदेशालाय इन आरोपों की जांच कर रहा है. गृह मंत्रालय का कहना है कि नॉन-प्रॉफ़िट संस्थाओं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के ज़रिए पैसे मंगाने की इज़ाजत नहीं है, जबकि एमनेस्टी ने ऐसा किया है. 

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ऐसे में ईडी ने 2017 में संस्था के अकाउंट फ़्रीज़ कर दिए थे, तब ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था. कोर्ट से संस्था को कुछ राहत ज़रूर मिली थी, लेकिन उसके अकाउंट फिर भी सील थे. 2019 मे सीबीआई ने भी एक केस दर्ज किया था. आरोप था कि एमनेस्टी इंडिया ने बिना मंत्रालय के मंज़ूरी के एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके से FDI के रूप में 10 करोड़ रुपये हासिल किए थे. साथ ही शिकायत में कहा गया कि, ‘26 करोड़ की रकम यूके की संस्थाओं की ओर से बिना मंत्रालय की मंजूरी के संस्था को दी गईं, जिसे भारत में NGO की गतिविधियों पर खर्च किया गया. ये FCRA का उल्लंघन है.’

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