नेल्सन मंडेला ने कहा था, “दुनिया को बदलना चाहते हैं, तो शिक्षा एक बहुत बड़ा हथियार है.” यह बात काफ़ी हद तक सही भी है. शिक्षा से ही इंसान की दशा और दिशा बदलती है. आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में जान कर आप गौरान्वित होंगे.
यह कहानी है पर्यटन नगरी जैसलमेर की. जैसलमेर जिले के चेलक गांव के निवासी रूपा राम धनदेव पेशे से एक इंजीनियर हैं. पढ़ाई की महत्ता को समझते हुए उन्होंने अपनी 6 बेटियां और 1 बेटे को पढ़ाया. आप सोच रहे होंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है? सभी इंजीनियर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं. लेकिन जानकारी के लिए बता दूं कि ये एक दलित परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इतना ही नहीं, इससे पहले इस जिले की पहचान ‘बेटी मारने’ वाले जिले के नाम से होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. आज हालात पूरी तरह से बदल चुकी है.
रूपा राम धनदेव एक ग़रीब परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके पिता एक मज़दूर थे. तमाम मुश्किलातों के बावजूद रूपा को उनके पिता ने गांव के स्कूल में पढ़ाया. रूपा सभी क्लास में टॉप आते थे. उनकी लगन को देख कर उनके शिक्षकों ने उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया और इसके लिए मदद भी की. सबके आशीर्वाद से रूपा एक इंजीनियर बन गए. उसी समय उन्होंने ठाना कि वे अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर पढ़ाएंगे.
आज स्थिति ऐसी हो गई है कि इस दलित परिवार की सभी लड़कियां सफ़लता की इबारत गढ़ रही हैं. रूपा राम धनदेव के परिवार में 6 बेटियां हैं और सभी अपने क्षेत्र में अपना नाम रौशन कर रही हैं.
रूपा राम की सबसे बड़ी बेटी का नाम अंजना है. वो जिले की पहली दलित ग्रेजुएट महिला हैं. एक कार एक्सिडेंट में उनके पति की मौत हो गई. वो ख़ुद 9 महीने हॉस्पिटल में पड़ी रहीं. हालांकि, सबकुछ भूल कर वो आगे बढ़ चुकी है. वर्तमान में वो जैसलमेर की मेयर हैं. रूपा राम की दूसरी बेटी जिले की पहली महिला डेंटिस्ट है, उनकी तीसरी बेटी जिले की पहली Pediatrician हैं.
प्रेम धनदेव जैसलमेर जिले की पहली महिला RPS हैं. गर्व की बात तो ये है कि अभी हाल ही में जयपुर में हुई पुलिस परेड में उसने एक प्लाटून का परेड में नेतृत्व कर जिले को गौरवान्वित कर दिया.
इंजीनियर बेटा कर रहा है खेती
अपने पिता की तरह हरीश इंजीनियर है, मगर वो नौकरी छोड़ कर खेती कर रहे हैं. वो एलोवेरा की खेती कर रहे हैं और सालाना करोड़ों कमा रहे हैं.
वक़्त बदला तो इंसान भी बदले हैं. अपनी बेटियों की सफ़लता पर रूपा राम धनदेव का कहना है की बेटी होना अब अभिशाप नहीं रहा. लोग मुझे कहते थे की आपके 6 बेटियां हैं और अब क्या होगा ? लेकिन मैंने इन सबको दरकिनार करके अपनी बेटियों को पढ़ाया-लिखाया और समाज की धारा के विपरीत जाकर इनको इस काबिल बनाया है कि लोग आज इनकी मिसाल देते हैं.
रूपा राम धनदेव किसी प्रेरणा से कम नहीं है. अपनी सोच और मेहनत से उन्होंने एक बेहतर समाज बनाने की कोशिश की है. हमें गर्व है कि वो हमारे देश के हैं.