पूर्वोत्तर में उठ रही है अलग Time Zone की मांग और ये क्यों सही है

Akanksha Tiwari

भारत के लिए दो अलग टाइम ज़ोन की मांग फिर से उठ गई है. पूर्व में असम सरकार की मांग के बाद, अब अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अलग टाइम ज़ोन की मांग की है.

Seven Sisters के नाम से महशूर नॉर्थ ईस्ट में सूर्य देवता सबसे पहले उदय होते हैं. पूरे भारत की तुलना में यहां के लोगों की दिनचर्या बहुत जल्दी शुरू हो जाती है. दिन के उजाले वाले समय को ज़्यादा इस्तेमाल करने के लिए, अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने नार्थ ईस्ट स्टेट्स के लिए एक अलग टाइम ज़ोन बनाने की मांग की है. पेमा खांडू के मुताबिक, इससे राज्य की उत्पादकता में सुधार होगा.

अब आपको बताते हैं कि आख़िर टाइम ज़ोन है क्या है?

दुनिया के वे क्षेत्र जो बिज़नेस या किसी समाजिक उद्देश्य से एक स्टैंडर्ड टाइम को फ़ॉलो करते हैं, उसे ही टाइम जोन कहते हैं. किसी भी देश के क्षेत्रीय समय को Coordinate Universal Time से मापा जाता है. पूरी दुनिया के लिए ये Standard Time होता है.

अलग टाइम zon को लेकर इसी साल 7 मार्च को गुहावटी हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए, अगल टाइम ज़ोन की याचिका ठुकरा दी थी. इस बारे में बेंगलुरु के Indian Institute of Advanced Studies की स्टडी रिपोर्ट में ये बताया गया कि अलग टाइम ज़ोन की वजह से पूरे देश में 2.7 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी.

1955 तक पूर्वी भारत में कलकत्ता टाइम चलता था. असम में बागान टाइम लागू था, जो इंडियन स्टैंडर्ड टाइम से एक घंटा पहले चलता था. पश्चिमी राज्यों में बॉम्बे टाइम था, जो कलकत्ता से दो घंटे पीछे था.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब देश में अलग टाइम ज़ोन बनाने की मांग की है. 1990 में पूर्वोत्तर राज्यों ने दो टाइम ज़ोन बनाने की मांग उठाई गई थी. 

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