प्रद्युम्न के पिता हैं इंसानियत की मिसाल, हत्या का आरोप झेल रहे बस कंडक्टर को जगी न्याय की आस

Vishu

रयान मर्डर केस में जहां एक पिता को अपने बच्चे की मौत का गम झेलना पड़ रहा है, वहीं एक मां को अपना खोया बेटा वापस मिल गया है.

गुरूग्राम पुलिस द्वारा हत्या का आरोप झेल रहे बस कंडक्टर, अशोक की मां केला देवी ने कहा कि ‘प्रद्युम्न के पिता बरूण ठाकुर ने अपने बेटे को खोया है लेकिन उसने मेरे बेटे को बचाया है. मैं हमेशा उनके और उनके परिवार की शुक्रगुज़ार रहूंगी.’ गौरतलब है कि गुरूग्राम पुलिस ने प्रद्युम्न की हत्या के आरोप में केला देवी के बेटे और बस कंडक्टर अशोक कुमार को आरोपी बनाकर गिरफ़्तार किया था लेकिन प्रद्युम्न के पिता बरूण, गुरूग्राम पुलिस की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी.

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अशोक कुमार को मर्डर वाले दिन यानि सितंबर 8 को ही गिरफ़्तार किया गया था और उसके बाद से ही उसे टॉर्चर किया जा रहा था. अशोक के परिवार ने लगातार पुलिस के सामने गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी.

हालांकि, अशोक के परिवार को एक सप्ताह पहले ही राहत की सांस लेने को मिली जब सीबीआई ने इस मामले की दोबारा जांच करने का फ़ैसला किया. अशोक अभी भोंडसी जेल में है. शुक्रवार को अशोक की पत्नी ममता उससे मिलने जेल पहुंची. ममता ने बताया कि जब भी मैं उनसे मिलने जाती हूं तो वो रो रहा होता है और अपने आपको बेकुसूर बताता है.

अशोक ने 7000 रुपये महीना में रयान इंटरनेशनल स्कूल को जॉइन किया था. इससे पहले अशोक विवेक भारती पब्लिक स्कूल में 4000 की मासिक सैलेरी पर काम कर रहा था. उन्होंने कहा कि ‘अशोक को अपने परिवार से बेहद लगाव है. वो पांचवी कक्षा के बाद कभी स्कूल नहीं गया. उसने एक दशक तक 100 रुपये दिहाड़ी पर काम किया है. इसके बाद उसने बादशाहपुर से गुरुग्राम तक ऑटो चलाने का काम शुरू किया, लेकिन तब भी घर की कई ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रही थीं.’

8 सितंबर के बाद से ही अशोक का परिवार दाने-दाने को मजबूर है. ममता ने बताया कि ‘मेरे पास अपने बच्चों के लिए सर्दी के कपड़े खरीदने तक के पैसे नहीं हैं. हम खाने के लिए गांववालों पर आश्रित हो चुके हैं. आखिर इसका हर्जाना क्या कोई भी सरकार दे पाएगी?’

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अशोक की आखिरी सैलेरी भी अगस्त में क्रेडिट हुई थी. ममता ने कहा कि ‘मेरे पति के जेल में होने के कारण उनके अकाउंट से पैसे निकालना भी दूभर हो गया है. उनके गिरफ़्तार होने के बाद से ही हमें बहुत दिक्कतें आ रही हैं. अगर उन्हें 16 नवंबर को बेल नहीं मिलती है, तो पता नहीं हमारा क्या हाल होगा.

उम्मीद है कि एक मुश्किल वक़्त से गुज़र रहे अशोक के परिवार को आने वाले दिनों में इंसाफ़ मिल पाएगा.

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