असम में एक गांव ने पेश की अनोखी मिसाल, मृत गिद्धों का किया गया श्राद्ध

Sanchita Pathak

हमारे सामने इंसानों द्वारा जानवरों के साथ की जा रही बर्बरता की ही ख़बरें आती हैं. कहीं जानवरों को उनकी खाल, दांत के लिए तो कहीं बिना किसी वजह ही उन्हें मार डालने की ख़बरें मिलती रहती है. इन विचलित कर देने वाली ख़बरों के बीच असम के ज़िला तिनसुकिया से एक ऐसी ख़बर आई है जो उम्मीद देती है. 

East Mojo की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने असम के तिनसुकिया में कई गिद्धों की मौत हो गई. गिद्धों की मौत की वजह ज़हर बताई जा रही है. 

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तिनसुकिया के धुलीजान गांव के लोगों ने इसके बाद जो किया उससे दुनिया के हर शख़्स को सीख लेनी चाहिए. विवेक मेनन ने ट्विटर पर कुछ तस्वीरें शेयर की. धुलीजान गांव के लोगों ने मारे गये 36 गिद्धों का श्राद्ध कर्म किया.  

18 जनवरी को पहली बार गिद्धों के मारे जाने के रिपोर्ट्स सामने आए. धुलीजान गांव में और गांव के आस-पास 36 गिद्धों के मृत शरीर पाए गए. इन गिद्धों ने 7 मृत गायों का मांस खाया था, बताया जा रहा है किसी तालाब का पानी पीने से इन गायों की मौत हो गई और मांस खाकर गिद्ध भी मारे गए.  

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फ़ोरेस्टर, कृष्ण कांत गोगोई ने बताया कि कई NGO के लोग, धुलीजान, बेतोनी, बोड़गोड़ा और तामुली गांवों के सैंकड़ों गांववाले बीते रविवार को मृत गिद्धों को सम्मान देने के लिए इकट्ठा हुए.  

गांववालों ने WTI (Wildlife Institute of India) अधिकारी विवेक मेनन, राठिन बर्मन के साथ मिलकर 8 बीमार गिद्धों के लिए प्रार्थना की. इन गिद्धों को इलाज के बाद बीते सोमवार को छोड़ दिया गया. 

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गांववालों ने आने वाले दिनों में कई पेड़ लगाने और ऊंचे पेड़ों को संरक्षण देने का निर्णय किया है. गिद्ध ऊंचे पेड़ों पर ही अपना घोंसला बनाते हैं. गांववालों ने ये भी निर्णय लिया है कि अगर किसी पशु या पक्षी की अप्राकृतिक मृत्यु होती है तो जानवर का मालिक उसे दफ़नायेगा ताकि भविष्य में ऐसी घटना न घटे. 

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