बंगलुरु की एक महिला ने फेसबुक पर सुनाई एक ऑटो वाले बाबा की इंसानियत की कहानी

Sumit Gaur

ऑटो वालों की मनमानी और बेरुखी के किस्से, तो आप सुनते ही होंगे, पर एक ऐसा भी शख़्स है, जिसकी कहानी ऑटो वालों के प्रति आपका नज़रिया बदल देगी. दरअसल, वृजाश्री वेणुगोपाल ने अपने फेसबुक अकाउंट पर अपने साथ हुए एक वाकये को शेयर किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि वो अपने वीज़ा इंटरव्यू के लिए हैदराबाद आई हुईं थीं, जहां उन्हें 5000 रुपये की ज़रूरत थी, पर उनके पास केवल 2000 रुपये ही थे.

एक ATM से दूसरे ATM तक भागने के बावजूद जब उनके हाथ खाली रहे थे, तो उन्होंने दुकान वालों से कार्ड स्वाइप करके पैसे देने के लिए कहा. तमाम कोशिशों के बावजूद जब वृजाश्री को कोई मदद नहीं मिली, तो एक ऑटो वाला उनके लिए उम्मीद की किरण बनाकर आया, जिसने कोई जान-पहचान न होने के बावजूद वृजाश्री की मदद के लिए अपनी बचत में से 3000 रुपये उनके सामने रख दिए. वृजाश्री ने अपनी पोस्ट में इस ऑटो वाले को बाबा कहा है.

शायद वृजाश्री के बाबा को ही देख कर लगता है कि दुनिया में आज भी इंसानियत ज़िंदा है. 

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