मिलिए बनारस के उस शख़्स से जो भिखारियों को ‘ख़ुद के पैरों पर खड़ा करने’ के काम में लगा है

Nripendra

Banaras Man Wants to Make Beggars Entrepreneurs : इस दुनिया में हर इंसान अलग-अलग लक्ष्य के साथ जीता है. कोई सिर्फ़ अपनी तरक़्क़ी करना चाहता है, तो कोई सामान्य जीवन व्यतीत करना चाहता है. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समाज की किसी चीज़ को बदलने या उसमें सुधार करने के लक्ष्य के साथ जीते हैं. इसमें सबसे चुनौती भरा काम है समाज किसी की किसी चीज़ में सुधार करना. ऐसे कई लोग या एनजीओ आपको मिल जाएंगे जो ऐसे काम में अपनी भागीदारी दे रहे हैं. 

इसमें एक नाम बनारस के उस शख़्स का भी है जो भिखारियों की स्थिति सुधारने के साथ उन्हें व्यवसाय से जोड़ने में लगा हुआ है. आइये, इस ख़ास लेख में जानते हैं कौन है वो शख़्स और क्या है उनकी पूरी कहानी.   

आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं बनारस के इस शख़्स (Banaras Man Wants to Make Beggars Entrepreneurs) की पूरी कहानी. 

चंदन मिश्रा 

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हम जिस शख़्स की बात कर रहे हैं उनका नाम है चंदन मिश्रा, जो बनारस के रहने वाले हैं और उन्होंने साल 2021 में ‘बेगर्स कॉर्पोरेशन’ नाम की एक एनजीओ की स्थापना की थी. इस एनजीओ के ज़रिए वो इस मिशन पर हैं कि वो बनारस में दान के माध्यम से भिखारियों का पुनर्वास नहीं, बल्कि उन्हें कौशल से लैस कर उद्यमी (Banaras Man Wants to Make Beggars Entrepreneurs) में बदलना है. उनका मानना है कि अगर भिखारी ‘आन्त्रप्रेन्योर’ बन जाते हैं, तो कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा. 

सीखा रहे हैं तरह-तरह की चीज़ें बनाना

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जानकारी के अनुसार, उनके एनजीओ के साथ फिलहाल 12 परिवार और 55 भिखारी जुड़े हुए हैं, जिन्हें वो तरह-तरह की चीज़ें बनाना सीखा रहे हैं. जैसे लैपटॉप बैग, कागज़-कपड़े के बैग व कॉन्फ़्रेंस बैग. इन सामानों को आम लोगों के साथ-साथ अलग-अलग कंपनी और बनारस के होटलों में भी पहुंचाया जा रहा है.  

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कहां से आया ये ख़्याल? 

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बेटर इंडिया नाम के एक मीडिया संगठन से हुई बातचीत में चंदन मिश्रा मिश्रा कहते हैं कि, “मैं भिखारियों को श्रम का महत्व समझाना चाहता हूं और दान के ज़रिए पुनर्वास नहीं बल्कि उन्हें ‘आन्त्रप्रेन्योर’ (Banaras Man Wants to Make Beggars Entrepreneurs) बनाना चाहता हूं. इससे भिखारियों को भी समाज में इज्जत मिलेगी और वो सम्मानपूर्वक अपना जीवन जी पाएंगे”. वो आगे कहते हैं कि, “भारत में सालाना क़रीब 4,13,670 भिखारियों को लगभग 34,242 करोड़ राशी दान में मिलती है. अगर इस राशी को निवेश किया जाए, तो इसे ज़्यादा रक़म कमाई जा सकती है. वहीं, दान की गई राशी से रोजगार पैदा कर देश की अर्थव्यवस्था को भी बदला जा सकता है”

चंदन मिश्रा आगे कहते हैं कि उन्होंने लक्ष्य लिया है कि वो 2023 तक बनारस को भिखारी मुक़्त कर देंगे. वहीं, वो इस एनजीओ को आगे एक प्रॉफ़िट कंपनी में बदलना चाहते हैं. इसके लिए वो क़रीब 2.5 करोड़ का फंड भी रेज़ करेंगे.  
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मॉर्निंग स्कूल ऑफ लाइफ़ 

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चंदन मिश्रा (Banaras Man Wants to Make Beggars Entrepreneurs) ने शहर के राजेंद्र प्रसाद घाट पर ‘मॉर्निंग स्कूल ऑफ लाइफ़’ के नाम से एक स्कूल की स्थापना भी की है. इस स्कूल के ज़रिए उनका मिशन है कि भिखारियों की आने वाली पीढ़ी अशिक्षित न रहे. यहां बाल-भिखारियों व भिखारियों के बच्चों को पढ़ाया जाता है. वो नहीं चाहते कि किसी बच्चे को कभी भीख मांगने की ज़रूरत पड़े. 

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