वर्तमान समय को पत्रकारिता का बुरा दौर कहा जा सकता है. आज इस संस्थान की विश्वसनीयता संदिग्ध है. मुख्यधारा के मीडिया संस्थानों के ऊपर भी ‘फ़ेक न्यूज़’ फ़ैलाने का आरोप लग रहा है. बावजूद इसके लोकतंत्र को मीडिया की ज़रूरत है.
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In July 2018, a horrifying video began to circulate on social media. 2 women & 2 young children are led away by a group of soldiers. They are blindfolded, forced to the ground, and shot 22 times. #BBCAfricaEye investigated this atrocity. This is what we found… pic.twitter.com/oFEYnTLT6z— BBC News Africa (@BBCAfrica) September 24, 2018
कुछ दिनों पहले अफ़्रीका में सोशल मीडिया पर एक वीडियो फैल रही थी, जिसमें दो औरतों को उनके दो बच्चों के ऊपर कुछ वर्दीधारी लोग गोलियां दाग रहे हैं. वीडियो में कुल 22 गोलियां चलने की आवाज़ आती है.
कुछ लोगों का दावा था कि ये गोलिया Mali के सैनिकों ने चलाई हैं, तो कुछ इसे Cameroon के जवान बता रहे थे. इस बीच Cameroon के संचार मंत्री ने बयान भी दे दिया कि ये उनके देश की वीडियो नहीं है. क्योंकि उसमें जो बंदूक और कपड़े दिख रहे हैं, वो Cameroon के फ़ौजी इस्तेमाल नहीं करते.
जब सब तरफ़ से सरकारें इस वीडियो से अपना पल्ला झाड़ने की तैयारी कर चुकी थी, इस घटना की पड़ताल की कमान BBC Africa की टीम ने संभाली। इस वीडियो की पड़ताल के दौरान बीबीसी अफ़्रीका की टीम ने जो किया, उसे खोजी पत्रकारिता/ Investigative जर्नलिज़्म के बेहतरीन नमूने के तौर पर सारी दुनिया में सराहा जा रहा है.
इस टीम के सामने सबसे पहला सवाल था, ये वीडियो किस जगह की है? दूसरा मुख्य सवाल, घटना कब की है? और अंतिम सवाल, गोली चलाने वाले युवक कौन हैं?
घटना कहां की है?
सरसरी निगाह से देखने पर वीडियो में ऐसा कुछ नहीं दिखता, जिससे इन सवालों का जवाब मिल सके. इसके लिए आपको पारखी और विशेषज्ञों वाली नज़र चाहिए. वीडियो में शुरुआत के 40 सेकेंड में पीछे कुछ पठार दिखते हैं, BBC की टीम के लिए यही पहली निशानी थी. Google Earth के मदद से ये पता लगाया गया कि इस संरचना के पठार अफ़्रीका में कहां हैं? घंटों की मेहनत के बाद सफ़लता हासिल हुई. घटना Cameroon के Zelevet शहर की निकली.
इसके बाद बारी थी घटनास्थल को थोड़ा और खंगालने की. Google Earth की तस्वीरों और वीडियो में दिख रहे पेड़ और मकानों की मदद से ये भी पता चल गया कि गोलियां किस जगह पर चलाई गई थी.
घटना कब की है?
वीडियो में मौजूद घरों को ध्यान से देखने पर और उसे Google Earth की तस्वीरों से मिलाने पर BBC की टीम ने ये अंदाज़ा तो लगा लिया कि ये घटना साल 2015 की है. लेकिन किस महीने की है, इसे जानने के लिए वीडियों में बन रहे बंदूकधारी सैनिक की परछाई का सहारा लिया गया. किस महीने में सूर्य की स्थिति कैसी रहती है, इस पर काम हुआ और ये भी Confirm हो गया कि घटना किस महीने की है.
ये सैनिक कौन हैं?
Cameroon सरकार ने पहले दावा किया था कि वीडियो में दिख रही बंदूक उनकी सेना इस्तेमाल नहीं करती और न ही उनकी वर्दी का रंग ही मेल खा रहा है. सच्चाई ये सामने आयी कि कुछ Cameroon की सैन्य टुकड़ियां वीडियो में दिख रही Zastava M21 बंदूक का इस्तेमाल करती है और उनकी वर्दी का रंग भी हू-ब-हू है.
जब मीडिया में ख़बरें बनने लगीं तब Cameroon की सरकान ने 7 अपने सात सैनिकों के ऊपर जांच बैठा दी. तीन उसमें से वो सैनिक निकले, जो वीडियो में दिख रहे थे.
BBC Africa की टीम तकनीक और स्रोत के इस्तेमाल से वीडियो के जड़ तक पहुंच गई. दुनियाभर के मीडिया हाउस उनकी मेहनत और समझदारी की प्रशंसा कर रहे हैं. पत्रकारिता कैसी होनी चाहिए, ये आने वाले सालों में इस एक ख़बर के ज़रिये ज़रूर समझाया जाएगा.
पूरी वीडियो यहां देख सकते हैं: