नॉर्थ-ईस्ट राज्यों के चुनावों को देखते हुए बीजेपी ने बदली अपनी रणनीति, कहा नहीं करेंगे बीफ़ बैन

Sumit Gaur

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद अवैध बूचड़खानों पर चाबुक चलने से कारोबारियों के बीच उथल-पुथल दिखाई दे रही है. आलम ये हो गया है कि सालों से चले आ रहे बिज़नेस पर भी हिन्दुत्व की तलवार लटकती हुई दिखाई दे रही है. हालांकि प्रदेश चुनाव से पहले ही बीजेपी अपने घोषणा पत्र इन चीज़ों का ज़िक्र कर चुकी थी, जिसे चुनाव जीतने के बाद सरकार के फ़ैसलों के तहत लागू किया जा रहा है.

इस मुद्दे को भुना कर बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो गई, पर अन्य राज्यों में उसका ये फ़ॉर्मूला काम नहीं करने वाला. इस बात से बीजेपी के रणनीतिकार भी भली-भांति वाकिफ़ है. इसलिए नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को मद्देनज़र रखते हुए नई नीतियों पर विचार कर रही है.

दरअसल अगले साल के अंत तक मेघालय, मिज़ोरम और नागालैंड में चुनाव होने हैं, जो इसाई बहुसंख्यक क्षेत्र हैं. इन राज्यों में बीफ़ की खपत अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है.

चुनावी समीकरणों को अभी से भुनाने में जुटी पार्टी के मेघालय सचिव, डेविड खरसती ने रविवार को एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने उन सभी अफ़वाहों का खंडन किया, जो कह रही थीं कि बीजेपी के आने से प्रदेश में बीफ़ बैन हो जायेगा.

एक अख़बार को दिए गए इंटरव्यू में नागालैंड के बीजेपी अध्यक्ष Visasolie Lhoungu ने कहा कि ‘उत्तर प्रदेश में गौ हत्या को रोकने के लिए बैन किये गए बूचड़खानों के फ़ैसले का असर यहां भी देखने को मिलेगा और हमारी पार्टी एक बार फिर जीत का बिगुल बजाएगी.’

जनगणना 2011 के आंकड़ों की मानें, तो मेघालय में 75%, मिज़ोरम में 87% और नागालैंड में 88% आबादी इसाई है. मेघालय और मिज़ोरम में फ़िलहाल कांग्रेस सत्ता पर काबिज़ है, जबकि नागालैंड में सहयोगी पार्टियों के साथ बीजेपी की सरकार है.

बीजेपी, मिज़ोरम के प्रेज़िडेंट, JV Hluna का कहना है कि ‘उन किसी भी राज्यों में बूचड़खानों को बंद नहीं किया जायेगा, जहां ईसाई बहुसंख्यक हैं.’ 

Feature Image Source: livemint

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