जानिए अपने अंतिम पलों में शहीद भगत सिंह के आख़िरी शब्द क्या थे और वो क्या कर रहे थे?

J P Gupta

Shaheed Bhagat Singh Birth Anniversary 2021: शहीदे आज़म भगत सिंह अविभाजित भारत के लोगों और तमाम क्रांतिकारियों के आइडल रहे हैं और आज भी हैं. उन्होंने भारत को आज़ादी दिलाने के लिए 23 साल की उम्र में फ़ांसी के फ़ंदे पर झूलकर देश के लोगों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाया था.

बहुत कम लोग हैं जो उनके अंतिम क्षणों के बारे में जानते हैं. भगत सिंह(Bhagat Singh) को जब फ़ांसी लगने वाली थी उस समय उनके मन में क्या चल रहा था और वो क्या कर रहे थे ये हर कोई जानने को उत्सुक रहता है. आज हमें ट्विटर पर एक थ्रेड मिला जिसे Last moments Of Bhagat Singh के शीर्षक के साथ शेयर किया गया है. इसमें भगत सिंह के अंतिम क्षणों के बारे में विस्तार से बताया गया है. 

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अंतिम समय में पढ़ी थी इस क्रांतिकारी की बायोग्रॉफ़ी

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इसमें बताया गया है कि भगत सिंह को फ़ांसी पर चढ़ाए जाने से 2 घंटे पहले वक़ील प्राण नाथ मेहता उनसे मिलने में कामयाब हुए थे. उन्होंने भगत सिंह से मिलते समय उनको रूसी क्रांतिकारी Lenin की बायोग्रॉफ़ी दी थी. इसकी डिमांड भगत सिंह ने ख़ुद की थी. क़िताब के मिलते ही बिना कोई क्षण गंवाए वो उसे पढ़ने लगे क्योंकि वो जानते थे कि उनके पास ज़्यादा समय नहीं बचा है. वो पिंजरे में कै़द किसी बाघ की तरह जेल में टहलते हुए उसे पढ़ रहे थे. 

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देशवासियों को दिया ये संदेश 

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तभी प्राण नाथ ने उनसे कहा कि वो क्या कोई संदेश देशवासियों को देना चाहते हैं? इस पर भगत सिंह ने जवाब दिया- बस दो संदेश- ‘साम्राज्यवाद को नीचे की ओर ले जाएं और क्रांति को लंबे समय तक जीवित रखें.’   

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, अंतिम समय में भगत सिंह लाहौर की सेंट्रल जेल में क़ैद थे. वहां के वार्डन चरत सिंह ने उनसे आख़िरी समय में वाहेगुरू(ईश्वर) को याद करने को कहा. तब भगत सिंह ने कहा था- ‘आपको नहीं लगता अब बहुत देर हो चुकी है.’ 

भगत सिंह के अंतिम शब्द 

कुछ ही देर बाद फिर हवलदार आ गए और उन्हें पकड़कर फ़ांसी के तख्ते तक ले गए. फिर जब वो उनके गले में फंदा डालने लगे तब उन्होंने कहा-‘रूको जरा एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से बात कर रहा है.’

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भगत सिंह को आज लोग अपना आदर्श तो मानते है पर कोई उनके सिद्धांतों को समझना नहीं चाहता. बहुत कम लोग हैं जो उनकी बुक- ‘मैं नास्तिक क्यों हूं’, को पढ़ते हैं. वो उनके वामपंथी सिद्धांतों को भी नहीं समझना चाहते. 

भगत सिंह के प्रति सच्ची श्रद्धांजली तो यही होगी कि देश नौजवान उनके बताए रास्तों पर चलें और देश को आगे ले जाने में जी-जान लगा दें.

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