भारत की वो जगह जहां देवी-देवताओं को भी मिलती है सज़ा, लगती है अनोखी अदालत

Abhay Sinha

आपने अक्सर सुना होगा कि ग़लत करोगे दो भगवान सज़ा ज़रूर देगा. मगर कभी ये सुना है कि भगवान के ग़लत की सज़ा भक्त देते हों? जी हां, हमारे और आपके लिए ये बात भले ही चौंकाने वाली हो, मगर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के आदिवास समाज के लिए ये बात आम हैं. यहां के आदिवासी देवी-देवताओं को भी सज़ा देते हैं. वो भी बाकायदा अदालत लगाकर. ये अनोखी अदालत ‘भंगाराव माई के दरबार’ में लगती है. (Bhangaram Devi Temple where even gods get punished)

postsen

भंगाराव माई का दरबार धमतरी जिले के कुर्सीघाट बोराई में है. सदियों पुराने इस दरबार को देवी-देवताओं के न्यायालय के रूप में जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि भंगाराम की मान्यता के बिना क्षेत्र में स्थित नौ परगना में कोई भी देवी-देवता कार्य नहीं कर सकते.

Bhangaram Devi Temple where even gods get punished

हर साल भादों के महीने में आदिवासी देवी-देवताओं के न्यायधीश भंगा राव माई का जात्रा होता है. जिसमें बीस कोस बस्तर और सात पाली उड़ीसा सहित सोलह परगना सिहावा के देव-देवता शिरकत करते है. महिलाओं का इमसें शामिल होना मना है.

lifeberrys

अदालत में हाज़िर होते हैं देवी-देवता

छत्तीसगढ़ में आदिवासी अपने देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. अपनी हर समस्या उनके साथ शेयर करते हैं, ताकि उन पर किसी तरह की विपत्ती न आए. मगर जब देवी-देवता उनके लिए कुछ नहीं करते या यूं कहें कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असफ़ल होते हैं तो ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर भंगाराम के मंदिर में इन्हें कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है. यहां इनकी सुनवाई होती है, आरोप लगते हैं और दोषी पाए जाने पर सज़ा भी मिलती है.

ऐसे मिलती है सज़ा

जब देवी-देवता आदिवासियों की परेशानियां दूर नहीं करते तो उन्हें दोषी माना जाता है. ऐसे देवी-देवताओं को ग्रामीण चिन्हित कर बकरी या मुर्गी को सोने चांदी आदि के साथ लाट, बैरंग, डोली आदि को लेकर भंगाराम जात्रा में पहुंचते हैं. यहां भंगाराम की उपस्थिति में कई गांवों से आए शैतान, देवी-देवताओं की एक-एक कर शिनाख़्त करते हैं.

toi

फिर मंदिर परिसर में ही अदालत लगती है. देवी-देवताओं पर लगने वाले आरोपों की गंभीरता से सुनवाई होती है. आरोपी पक्ष की ओर से दलील पेश करने सिरहा, पुजारी, गायता, माझी, पटेल आदि ग्राम के प्रमुख उपस्थित होते है. दोनों पक्षों की गंभीरता से सुनवाई के पश्चात आरोप सिद्ध होने पर फ़ैसला सुनाया जाता है. मंदिर में देवी-देवताओं को ख़ुश करने के लिए बलि देने व भेंट चढ़ाने का भी विधान है.

Bhangaram Devi Temple where even gods get punished

ये भी पढ़ें: भगवान शिव को समर्पित 12वीं सदी का वो प्राचीन मंदिर, जिसकी सीढ़ियों से निकलते हैं सरगम के सात सुर

बता दें, मंदिर परिसर में एक गड्ढे नुमा घाट बना हुआ है. इसे कारागार कहते हैं. दोष साबित होने पर देवी-देवताओं के लाट, बैरंग, आंगा, डोली आदि को इसी गड्ढे में डाल दिया जाता है. इस तरह से देवी-देवताओं को सजा दी जाती है.

आपको ये भी पसंद आएगा
ताने सुने, आर्थिक कठिनाइयों से लड़ी… भेदभाव के ख़िलाफ़ हुंकार है LLB पास इस ट्रांसजेंडर की कहानी
शाबाश यमुना: दिनभर ईंट के भट्ठे में काम और रात भर पढ़ाई कर पास की NEET परीक्षा, अब बनेगी डॉक्टर
Muria Tribe: इस जनजाति में नहीं मना जाता है सेक्स को ‘Taboo’, जानिए इनसे जुड़े 9 दिलचस्प तथ्य
अनोखा मंदिर: यहां देवी-देवता को नहीं, बल्क़ि 200 सालों से एक ‘डायन’ को पूजते आ रहे हैं लोग