BHU के छात्रों को एक प्रोफ़ेसर से सिर्फ़ इसलिए संस्कृत नहीं पढ़ना क्योंकि वो एक मुसलमान है

Sanchita Pathak

सर्वविद्या की राजधानी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय. बनारस का ये विश्वविद्यालय अपने आप में ही अनोखा है. सीधे-पल्ले की साड़ी में विदेशी महिला को संस्कृत में आराम से बात करते देखना बाहर के लोगों के लिए अचरज का विषय हो सकता है, बनारसियों और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए आम बात है.


कुछ दिनों पहले ख़बर आई कि विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में एक मुस्लिम प्रोफ़ेसर की नियुक्ति हो रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ प्रोफ़ेसर फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति ‘संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय’ में हुई. लेकिन इसपर जो प्रतिक्रियाएं हुईं वो हैरान कर देने वाली थीं.  

In Khabar

छात्रों ने वीसी को लिखी चिट्ठी 


विश्वविद्यालय के कई छात्र विरोध प्रदर्शन, धरना, नारेबाज़ी और यहां तक कि होम-हवन पर उतर आये. छात्रों ने वाइस चांसलर (वीसी) प्रोफ़ेसर राकेश भटनागर को चिट्ठी लिखकर कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय के लिए संस्कृत संकाय विश्वविद्यालय के हृदय के समान था. छात्रों का ये कहना था कि एक ग़ैर-हिन्दू की नियुक्ति एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ वीसी ने बताया कि प्रोफ़ेसर फ़िरोज़ की नियुक्ति सेलेक्शन कमिटी द्वारा नियमानुसार ही की गई थी. लोकल रिपोर्ट्स की मानें तो उस पोस्ट के लिए 10 लोग छांटें गए थे, बाक़ियों ने 0-2 के बीच अंक प्राप्त किए और प्रोफ़ेसर फ़िरोज़ ने 10 में से 10 अंक प्राप्त किए. 

Hindustan Times

वीसी पर फेंकी खाली बोतल 


अपनी मांगों को लेकर छात्र इतने ज़्यादा अड़ गए थे कि छात्र अनुशासन के उल्लंघन पर उतारू हो गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, धरनाप्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बीते मंगलवार शाम को वीसी की गाड़ी पर खाली बोतल फेंक दी. इसके बाद थोड़ी देर के लिए गहमागहमी रही पर हालात क़ाबू में रहे. 

Times of India

प्रोफ़ेसर फ़िरोज़ के साथ खड़े कई लोग 


विश्वविद्यालय के कई प्रोफ़ेसर, छात्र समेत आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, अभिनेता-एमपी परेश रावल ने प्रोफ़ेसर फ़िरोज़ को समर्थन दिया था. 

प्रोफ़ेसर ने छोड़ा शहर 


रिपोर्ट्स के अनुसार, हालातों को देखते हुए प्रोफ़ेसर फ़िरोज़ ने शहर छोड़ दिया है और विश्वविद्यालय ने इस बात की पुष्टि भी की है. ग़ौरतलब ये है कि प्रोफ़सर फ़िरोज़ का संस्कृत से नाता काफ़ी पुराना है. 

Times of India से बात-चीत में फ़िरोज़ ख़ान ने बताया कि उनके दादा गफ़ूर ख़ान राजस्थान में हिन्दू दर्शकों को भजन गाकर सुनाते थे. ये परंपरा चलती रही और उनके पिता, रामजन ख़ान ने संस्कृत की पढ़ाई की. 

हमें तब कोई समस्या नहीं हुई. बचपन से राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में पढ़ाई पूरी करने तक मुझे कभी धर्म के नाम पर भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा. ये काफ़ी दुखद है. छात्रों का एक गुट नहीं चाहता कि मैं संस्कृत पढ़ाऊं क्योंकि मैं हिन्दू नहीं हूं.

-प्रोफ़ेसर फ़िरोज़

Times of India

प्रोफ़ेसर फ़िरोज़ ख़ान ने अपनी शास्त्री (बैचलर डिग्री), शिक्षा शास्त्री (B.Ed), आचार्य (मास्टर्स डिग्री) राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से की और 2018 में Ph.D पूरी की. प्रोफ़ेसर ने NET और JRF दोनों पास किए हैं. इस साल प्रोफ़ेसर फ़िरोज़ को राजस्थान सरकार से संस्कृति युवा प्रतिभा सम्मान से नवाज़ा गया. 

ये लेख लिखते हुए हम बस इतनी उम्मीद करते हैं कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों को सुमति आये और वे बेफ़िज़ूल की ज़िद्द छोड़ दें. 

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