अस्पताल ने नहीं दिया शव वाहन, तो पति और बेटे को बाइक पर ले जानी पड़ी महिला की लाश

Komal

दुनिया में शायद ग़रीबी से बुरा कुछ नहीं होता. यही वजह है कि आए दिन ग़रीबी की मारा झेल रहे लोगों की ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो मानवीय संवेदना को झंकझोर कर रख देती हैं. ऐसा ही कुछ हुआ बिहार के पूर्णिया में. शुक्रवार को एक महिला के शव को उसके परिजन बाइक पर लाद कर ले जाते हुए दिखाई दिए. ऐसा करने की वजह थी अस्पताल का उन्हें एम्बुलेंस उपलब्ध न करा पाना.

मुज्ज़फ़रपुर में एक महिला के शव को पोस्टमॉर्टेम के लिए कचरा गाड़ी में ले जाने की फ़ुटेज वायरल होने के ठीक एक दिन बाद ये मामला सामने आया है.

रानीबाड़ी गांव की सुशीला देवी की हार्ट अटैक के कारण पूर्णिया सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी. 60 वर्षीय शंकर मजदूर हैं, उन्हें अस्पताल से एम्बुलेंस नहीं दी गयी. उन्होंने जब प्राइवेट एंबुलेंस के लिए बात की, तो उनसे 2500 रुपए मांगे गए. वो इतने रुपए देने में सक्षम नहीं थी, इसलिए उन्होंने और उनके बेटे ने फैसला किया कि वो शव को मोटरसाइकिल पर ही गांव ले जाएंगे. बेटे ने शव को गमछे के सहारे अपने शरीर से बांधा और पीछे पति शव को पकड़ कर बैठ गए. इसके बाद दोनों सुशीला के शव को बाइक पर बांध कर 20 किलोमीटर दूर अपने घर ले गये.

शनिवार को जब इस घटना के बारे में लोगों को पता चला, तो हड़कम्‍प मच गया. ज़िला प्रशासन ने अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता का संज्ञान लेते हुए जांच टीम गठित कर दी है. जांच टीम दो दिनों में अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगी.

बेटे पप्पू का कहना है कि उनके पास पैसे नहीं थे, इसी वजह से उन्हें बाइक पर अपनी मां का शव घर ले जाना पड़ा. इस घटना की सूचना मिलते ही डीएम पंकज पाल ने दो सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दो दिनों में जांच रिपोर्ट देने को कहा है.
अस्पताल के सिविल सर्जन एमएम वसीम से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि आज के समय में सदर अस्पताल में एक भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है. अस्पताल में एक एंबुलेंस है, जो ख़राब पड़ी है. इसलिए लोगों को खुद ही एंबुलेंस का इंतज़ाम करना पड़ता है.

शंकर शाह और उनका बेटा पप्पू दोनों ही पंजाब में रहकर दिहाड़ी पर काम करते हैं. जब उन्हें सुशीला के बीमार होने की खबर दी गई, तो दोनों तुरंत बिहार आ गए. इसके बाद उन्होंने सुशीला को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां पर उसकी मौत हो गई.

बीते दिनों हुई ये घटनाएं दिखाती हैं कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत कितनी लचर है.

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