दुर्लभ बीमारी के कारण बाहर आ गयी थीं बच्चे की आंखें, इंटरनेशनल मीडिया में खबर आने से मिल सका इलाज

Komal

बीमारियों के आगे कभी-कभी इंसान इतना मजबूर हो जाता है कि वो चाह कर भी कुछ कर नहीं पाता. एक उम्रदराज व्यक्ति किसी बीमारी में होने वाले दर्द को ज़्यादा दिनों तक नहीं झेल पाता और परेशान हो जाता है. तो ज़रा सोचिये कि जब कोई खतरनाक बीमारी किसी बच्‍चे को हो, तो उसका दुख-दर्द तो बयां ही नहीं किया जा सकता है.

कुछ ऐसी ही खतरनाक बीमारी से जूझ रहा है 4 साल का ये बच्चा, जिसका नाम सागर है. इस बच्चे को एक अजीबोगरीब बीमारी है. किसी ख़ास कंडीशन के कारण उसकी आंखों से पहले तो खून निकलना शुरू हो गया और बाद में उसकी आंखें बाहर ही निकल आयीं. बच्चे के माता-पिता इस बीमारी की वजह पता लगाने के लिए डॉक्टर्स के चक्कर लगा रहे थे.

पूर्वोत्तर भारतीय राज्य असम के लखीमपुर में रहने वाले सागर दोरजी की आंखों से कई महीनों पहले खून आने लगा था. उसके बाद धीरे-धीरे उसकी आंखें बाहर ही आने लगीं. सागर की आंखों की रौशनी पूरी तरह से जा चुकी थी और इसके मां-बाप उसकी आंखों को टेस्ट करवाने का खर्च उठाने में असमर्थ थे.

सागर की मां कुसुम बताती हैं कि, “इसकी शुरुआत आंखों में सूजन आने से हुई और ऐसा लग रहा था कि मानो उसकी आंखों में खून उतर आया हो. उसके बाद आंखों से खून आने लगा और बाद में आंखें ही बाहर निकल आयीं.”

जब सागर की कहानी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में वायरल हुई, तो भारतीय मीडिया का ध्यान भी इस ओर गया. इसके बाद असम सरकार पर दबाव बना और उन्होंने सागर का इलाज कराने की सोची.

सागर को इलाज के लिए बेंगलुरु के Mazumdar Shaw Cancer Centre भेजा गया. सागर को एक तरह का ब्लड कैंसर है, जिसमें आंखें ख़राब हो जाने की सम्भावना रहती है. सागर को कीमोथेरपी दी गयी, जिससे उसकी हालत में सुधार होने लगा और आंख से खून आना रुक गया.

इसके बाद उसका बोन मैरो ट्रांस्पलांट भी किया गया. सागर की बहन पिंकी जो कि 9 साल की है, उसने सागर को बोन मैरो डोनेट किया. मेडिकल साइंस के हिसाब से, केवल तीस प्रतिशत भाई-बहनों का बोन मैरो ही मिलता है.

अब सागर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है. इस पूरी प्रक्रिया में दो लाख से ज़्यादा का खर्च आया है. असम सरकार ने ये पैसा क्राउड-फंडिंग के ज़रिये जुटाया. दुनियाभर से लोगों ने सागर के लिए पैसे दान किये. 

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