एलियंस को ढूंढने के लिए शुरू हुए ‘Breakthrough Listen Project’ में अहम भूमिका निभा रहा है एक भारतीय

Vishu

Breakthrough Listen नाम का एक ग्लोबल एस्ट्रोनॉमिकल प्रोजेक्ट दुनिया भर के Astronomers और वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. 100 मिलियन डॉलर का ये प्रोजेक्ट दरअसल ब्रह्माण्ड में एलियन लाइफ़ की खोज के चलते सुर्खियां बटोर रहा है. इसमें एक उच्च क्वालिटी के यंत्र का इस्तेमाल अंतरिक्ष में हाई फ़्रीक्वेंसी के साथ भेजा जाता है जिससे परजीवियों के द्वारा आने वाले सिग्नल को कैप्चर किया जा सके.

गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट से एक भारतीय भी जुड़े हुए हैं. विशाल गज्जर का जन्म गुजरात के एक छोटे से गांव बोताड में हुआ था. उन्होंने वहीं से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने भावनगर के शांति लाल इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग पूरी की. विशाल को हमेशा से एस्ट्रोनॉमी में दिलचस्पी थी. इसलिए उन्होंने अपनी पीएचडी के लिए नेशनल सेंटर फ़ॉर एस्ट्रोफ़िजिक्स जॉइन करने का फ़ैसला किया और मार्च 2016 से यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ॉर्निया में काम करना शुरू किया है.

 इस प्रोजेक्ट के द्वारा अब तक 15 फ़ास्ट रेडियो बर्स्ट (FRB) सिग्नल्स का पता लगाया जा चुका है. इन ट्रांसमिशंस के स्त्रोत को FRB 121102 कहा जाता है. इसे रिपीटर भी कहा जा रहा है क्योंकि ये बार-बार इन सिग्नल को पैदा कर रहा है.

यही कारण है कि वैज्ञानिक इस सिग्नलस पर खास ध्यान दे रहे हैं क्योंकि अगर ये सिग्नल केवल एक बार आए होते, तो इसे किसी तारे के फ़टने या उल्कापिंड के धमाके के साथ जोड़ कर देखा जाता है. हालांकि, अब भी इन रहस्यमयी सिग्नल की उत्पत्ति के बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है. अगर ये FRB एलियंस द्वारा पैदा किए जा रहे हैं तब भी दूरी की वजह से परजीवियों से संपर्क साधने की संभावना बेहद कम होगी.

Breakthrough Listen को 2015 में लॉन्च किया गया था. इसे महान वैज्ञानिक स्टीफ़न हॉकिंग और इंटरनेट इंवेस्टर यूरी मिलनर ने शुरू किया था. यूं तो प्रोफ़ेसर हॉकिंग ही इस प्रोजेक्ट के सूत्रधार हैं लेकिन वे अब भी उम्मीद करते हैं कि धरती के लोगों का एलियंस के साथ कोई पाला न पड़े. हॉकिंग के मुताबिक, Extraterrestrials ऐसे जीव भी हो सकते हैं, जो ब्रह्माण्ड में संसाधनों की खपत के लिए दुनिया को तलाश रहे हों और ऐसे में वो कई ग्रहों पर अपना कब्ज़ा जमा सकते हैं या वहां जीवन की तलाश के लिए बस सकते हैं, ऐसे में पहले ही संसाधनों की कमी से जूझ रही हमारी धरती के लिए ये परेशानी का सबब भी हो सकता है.  

Source: TOI

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