केस नंबर AST/1/1800: भारत का सबसे पुराना केस जो 221 सालों से आज तक पेंडिंग है

Maahi

तारीख़ पे तारीख़, तारीख़ पे तारीख़

तारीख़ पे तारीख़ और तारीख़ पे तारीख़ मिलती रही है 
लेकिन इंसाफ़ नहीं मिला माय लॉर्ड इंसाफ़ नहीं मिला, 
मिली है तो सिर्फ़ ये तारीख़

बॉलीवुड फ़िल्म दामिनी (Damini) में सनी देऑल का ये डायलॉग तो आप सभी को याद ही होगा. आज हम देश की अदालतों में Pending Cases की बात करने जा रहे हैं.

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कलकत्ता हाई कोर्ट देश में बनाई गई पहली हाई कोर्ट थी, जिसकी स्थापना सन 1862 में हुई थी. वर्तमान में ‘कलकत्ता हाई कोर्ट’ देश की सबसे अधिक पेंडिंग केसों वाली अदालत मानी जाती है. इसमें फिलहाल 2.25 लाख केस पेंडिंग हैं. इनमें 9,979 केस ऐसे हैं, जो 30 साल से अधिक सालों से पेंडिंग हैं. लेकिन भारत में एक केस ऐसा भी है जो 221 सालों से पेंडिंग है. इसे देश का सबसे पुराना पेंडिंग केस भी कहा जाता है.

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भारत का सबसे पुराना पेंडिंग केस

नेशनल जूडिशल डेटा ग्रिड के मुताबिक़, कलकत्ता हाई कोर्ट का केस नंबर AST/1/1800 देश का सबसे पुराना पेंडिंग केस है. 221 साल पुराना ये केस पहली बार सन 1800 में एक निचली अदालत में रजिस्टर्ड किया गया था. इस केस में आख़िरी सुनवाई 20 नवंबर 2018 को ‘कलकत्ता हाई कोर्ट’ में हुई थी.

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कोलकाता की निचली अदालतों की फ़ाइलों में क़रीब 170 सालों पेंडिंग रहने के बाद 1 जनवरी 1970 को ऐतिहासिक केस AST/1/1800 कलकत्ता हाई कोर्ट में रजिस्टर किया गया. लेकिन अफ़सोस की बात तो ये है कि हाई कोर्ट में भी इस केस को पिछले 51 सालों से सिर्फ़ तारीख़ पे तारीख़ ही नसीब हुई है.

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NJDG के चौंकाने वाले आंकड़े 

राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के आंकड़ों के मुताबिक़, देशभर की क़रीब 17000 ज़िला और अधिनस्थ अदालतों में अब भी 100639 केस पेंडिंग हैं, जो 30 साल से अधिक पुराने हैं. जबकि देशभर में कुल पेंडिंग केसों की संख्या 3.9 करोड़ है. विभिन्न उच्च न्यायालयों में 58.5 लाख मामले और सर्वोच्च न्यायालय में 69,000 से अधिक मामले लंबित हैं.

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देश के 24 हाई कोर्ट में क़रीब 49 लाख केस पेंडिंग

वर्तमान में भारत की कुल 24 हाई कोर्ट में क़रीब 49 लाख केस पेंडिंग हैं. इनमें से क़रीब 10 लाख से अधिक केस तो ऐसे भी हैं, जो 10-30 साल से पेंडिंग हैं. देश की सबसे बड़ी हाई कोर्ट ‘इलाहाबाद हाई कोर्ट’ में 38 हज़ार केस 30 साल से अधिक पुराने हैं.

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भारत सरकार की तरफ़ से किए गए एक सर्वे की मानें तो अगर देश में इसी गति से केसों का निपटारा होता है तो इन सभी केसों को ख़त्म होने में 324 साल लग सकते हैं.

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