सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ चीफ़ इन्वेस्टिगेशन यानी सी.बी.आई के नंबर एक अधिरकारी हैं आलोक वर्मा. स्पेशल डायरेक्टर के पोस्ट पर बैठे राकेश अस्थाना को सी.बी.आई में नंबर दो हैसियत वाला अधिकारी कहा जा सकता है. इनके बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा था, इसी बीच सोमवार को CBI ने CBI के हेडक्वाटर में छापा मारा.
क्या है मामला?
तकरार की शुरुआत 2017 में हुई, जब पांच सदस्यों के पैनल ने राकेश अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर के पद पर प्रमोट किया, जिस पर आलोक वर्मा को आपत्ति थी.
इस साल 24 अगस्त को राकेश अस्थाना ने CVC और कैबिनेट सेक्रेटरी को आलोक वर्मा और उनके नज़दीकी अधिकारियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की जानकारी दी. अस्थाना ने दावा किया कि वर्मा ने सतीश बाबू सना नाम के आरोपी को बचाने के लिए दो करोड़ घूस ली है.
4 अक्टूबर को सी.बी.आई ने आरोपी सतीश बाबू को पकड़ा, उसने मैजिस्ट्रेट के सामने अस्थाना के ख़िलाफ़ बयान दिया. बयान के अनुसार, अस्थाना ने उससे 10 महीने के भीतर 3 करोड़ रुपये लिए हैं.
15 अक्टूबर को सी.बी.आई ने घूस लेने के आरोप में अस्थाना के ख़िलाप केस दर्ज कर लिया.
देश के दो बड़े अधिकारी आपस में सार्वजनिक रूप से लड़-भिड़ रहे हैं. एक दूसरे के ख़िलाफ़ कुर्सी की ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं. अंत में जो कुछ भी साबित हो, एक बात जो अभी सामने आ चुकी है, वो ये कि सी.बी.आई दूध की धुली नहीं है. ऊपर तक अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. ताकत का इस्तेमाल अपनी जेब भरने के लिए हो रहा है. इसके अलावा एक प्रतिष्ठित संस्थान अपनी शाख गंवा रही है सो अलग.
अपने ही हेडक्वाटर पर छापा मारने की वजह से लोग CBI का मज़ाक बना रहे हैं.
CBI raids CBI.
Whether No 1 is correct or No 2, certainly:- CBI is corrupt.- & a tool to intimidated opposition.- & a puppet of powerful.- & a “Caged Parrot”.- & most disgraced & at its lowest under Modi.ये तो बस शुरूआत है।#CBIvsCBI #CBIvsAlokVerma— Amit Tyagi (@hiambuj) October 22, 2018
बड़े से बड़े आरोपों की जांच सी.बी.आई करती थी, अब जब सी.बी.आई पर ही सवाल उठ रहे हैं, तो इनकी जांच कौन करेगा.