मां भालू की गैरहाज़िरी में गांव के लोगों ने रखा उसके बच्चों का ख़याल, ऐसे गांववालों को सलाम है

Sanchita Pathak

हमारे सामने, इंसानों के वहशीपन की हर सीमा पार करती ख़बरें आती हैं. इंसानों और जानवरों के बीच चल रहा संघर्ष नया नहीं है. हम इंसानों ने जानवरों से उनका घर छीनकर उन्हें पिंजरों में क़ैद किया, उन्हें अपने फ़ायदे और मज़े के लिए मौत के घाट उतारा और आज भी वही कर रहे हैं. 

पृथ्वी पर आज भी कुछ जानवर ज़िन्दा है तो उसकी वजह भी कुछ इंसान ही हैं. जो जानवरों को भी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं और उनकी एहमियत को समझते हैं. इंसानों और जानवरों की दोस्ती के भी कई क़िस्से हमने पढ़े-सुने हैं. ऐसा ही एक दोस्ताना क़िस्सा छत्तीसगढ़ से भी सामने आया है. 

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The New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ के ज़िला अंबिकापुर के खारसुरा गांव में कुछ ग्रामीणों ने भालु के शावकों का ख़याल रखने की ज़िम्मेदारी उठाई है. जब मां भालु जंगलों में होती है तो गांववाले दोनों शावकों को दूध पिलाते हैं और उनका ध्यान रखते हैं. 

मां भालु अपने शावकों को छोड़ कर चली जाती है और देर शाम लौटती है. वाइल्डलाइफ़ एक्सपर्ट्स, फ़ोरेस्ट स्टाफ़ की सलाह को नज़रअंदाज़ करते हुए ग्रामीण शावकों को देखने के लिए उमड़ते रहे हैं. 

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एक मादा भालु ने खारसुरा गांव के पास खेतों में 2 शावकों को जन्म दिया. ग्रामीणों ने फ़ोरेस्ट डिपार्टमेंट स्टाफ़ को इत्तिला किया. स्टाफ़ ने पशुओं के डॉक्टर और वाइल्डलाइफ़ एक्सपर्ट्स से बात की.

ग्रामीणों का मानना है कि मां भालू को गांव के आस-पास का इलाका जन्म देने के लिए ज़्यादा सुरक्षित लगा. सबके मन में एक ही सवाल है कि आख़िर क्यों मां भालू सूर्योदय से पहले अपने दो बच्चों को छोड़कर देर शाम लौटती है, वो भी एक तय समय पर? 

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भालू को ज़रूर ये लगा होगा कि ये जगह उसके शावकों के लिए सुरक्षित है. अगर ऐसा नहीं होता तो मां भालू उन्हें जंगल में ले जाती. हो सकता है कुछ हफ़्तों बाद जब शावक थोड़े बड़े हो जाये तो ये सब जंगल लौट जाए. 

-प्रभात दूबे, वाइल्डलाइफ़ एक्सपर्ट

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चिकित्सक डॉ. सी.के.मिश्रा ने दोनों शावकों की जांच की और उन्हें स्वस्थ पाया. डॉ. मिश्रा ने शावकों को 2 बार दूध पिलाने और बढ़ती ठंड को देखते हुए उनकी सुरक्षा करने की हिदायत दी. डॉ. मिश्रा ने ये भी कहा कि लोगों को शावकों के पास भीड़ नहीं लगानी चाहिए.  

फ़ोरेस्ट अधिकारियों की निगरानी में मंत्री पोर्ट नामक एक शख़्स को बच्चों को 2 बार दूध पिलाने का काम दिया गया है. फ़ोरेस्ट अधिकारियों ने मादा भालू के लिए भी खाने की व्यवस्था कर दी है.

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