साइबर क्राइम का हब बना गया है झारखंड का जामताड़ा जिला, देश की 80 प्रतिशत घटनाएं यहीं होती हैं

Bikram Singh

राजू मेरे साथ ही पढ़ता था. हम दोनों झारखंड से ताल्लुक रखते हैं. मैं धनबाद का और वो जामताड़ा का. पढ़ाई के दौरान वो मुझसे हमेशा कहता था कि 100 रुपये में 300 का रीचार्ज करवा दूंगा. मुझे पहले ये लगता था कि ये कोई ऑफ़र है, मगर धीरे-धीरे अहसास होने लगा कि राजू कुछ ग़लत कर रहा है. वो सस्ते दामों पर नए मोबाइल, टीवी, फ्रिज और वाशिंग मशीन भी देने लगा. उत्सुकतावश मैंने उससे पूछा कि ये सब कहां से लाते हो? उसका जवाब आया कि जादू है. मुझे लगा कि भला ये कौन सा जादू है!

ख़ैर, जामताड़ा जिले के राजू जैसे हज़ारों लड़के इस तरह के जादू करते हैं. दरअसल, उसे जादू नहीं, क्राइम कहते हैं. वो क्राइम, जो लोगों को बेवकूफ़ बना कर किया जाता है. क्राइम की दुनिया में इसे ‘साइबर क्राइम’ कहते हैं. इसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी, ठगी कर लोगों को लाखों-करोड़ों का चूना लगाते हैं.

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सबसे अहम सवाल ये है कि झारखंड के आदिवासी इलाके में कम पढ़े-लिखे बच्चे ये कैसे कर पाते हैं. आंकड़ों के अनुसार, देश की 80 प्रतिशत ऑनलाइन धोखाधड़ी इसी जिले से होती है. इसके लिए बेहद सरल नियम है, जो इस प्रकार से है.

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यहां रहने वाले अपराधी फर्जी नंबर से लोगों को बैंक कर्मचारी बन कर फोन करते हैं. उन्हें फोन पर कहते हैं कि उनका एटीएम ब्लॉक हो गया है, अनब्लॉक करने के एवज में वे सीवीवी, कार्ड नंबर और एटीएम पिन मांग लेते हैं. इतनी जानकारी लेने के बाद वे कुछ महंगे समान खरीद लेते हैं. फ़िर उसे सस्ते दामों पर बेच देते हैं. ऐसे काम वो जंगलों में रह कर करते हैं, ताकि पुलिस उन्हें ट्रैक नहीं कर पाए.

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ऐसा करके वो रातोंरात लखपति बनते जा रहे हैं. अभी हाल में ही पूरी मीडिया की नज़र इस शहर पर पड़ी, सब चौंक गए. जो बच्चा मैट्रिक पास नहीं हुआ है, वो महंगी गाड़ियां और मोबाइल लेकर घूम रहा है.

झारखंड एक आदिवासी बहुल इलाका है. इसका बिहार से इसलिए विभाजन किया गया था, ताकि राज्य के आदिवासियों की भलाई हो सके. हालांकि, इतना विकास हो जाएगा, ये किसी को मालूम नहीं था. राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के कारण विकास लगभग नगण्य रहा, हालांकि, यहां के प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास ज़रूर हुआ है. ख़ैर, ये डिबेट का एक अलग विषय है.

आपको शायद नहीं पता लेकिन साइबर क्राइम को अंजाम देते हुए यहां के अपराधी देश के विभिन्न शहरों से अब तक करोड़ों रुपये उड़ा चुके हैं. तमिलनाडु में 200 से अधिक पुलिसकर्मी भी इनके शिकार बन चुके हैं. इनकी पहुंच कश्मीर से कन्याकुमारी तक हो चुकी है.

इन अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए तमिलनाडु, बेंगलुरू, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र समेत एक दर्जन से अधिक राज्यों की पुलिस ने अब तक मधुपुर व आसपास के इलाके में छापेमारी की है. हालांकि इस मामले में बहुत अधिक अपराधी गिरफ्तार नहीं हो पाये हैं जोकि एक सवाल है.

इस पूरी घटना पर एसडीपीओ अशोक कुमार सिंह एक बड़ा अपराध मानते हैं. वे कहते हैं कि अपराधी पुलिस से ज़्यादा जानकार है. इनसे निपटने के लिए हमें एक अलग से स्ट्रेटजी बनानी होगी.

सबसे दुख वाली बात ये है कि इसमें नये लड़कों को पुराने अपराधी प्रशिक्षण देकर उनसे भी पैसे लेते हैं. वहीं कई पुराने अपराधियों ने माहवारी वेतन पर भी नवयुवकों व छोटे-छोटे अपराधियों को अपने साथ रख लिया है. यह एक जंग की तरह है, जो एक पीढ़ि को बर्बाद करने पर लगा हुआ है. अगर समय रहते इसे बंद नहीं किया गया, तो वो दिन दूर नहीं, जब पूरे प्रदेश के युवा जेल में दिन काटेंगे.

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