क्या बंधुआ मज़दूर बनने से इंकार करना इतना ग़लत है कि इसके बदले में काट दी जाए एक महिला की नाक?

Rashi Sharma

हमारे देश में एक तरफ तो महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, वहीं दूसरी तरफ महिला को जबरन बंधुआ मजदूर बनाने की कोशिश की जाती है और महिला द्वारा विरोध करने पर उसके अपने ही उसकी पिटाई करते हैं. मध्यप्रदेश से ऐसी ही एक खबर आ रही है.

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ये मामला मध्यप्रदेश के सागर जिले के रेंवझा का है, जहां ऊंची जाति के बाप-बेटे ने एक 35 साल की महिला की नाक इसलिए काट दी क्योंकि उसने उनके यहां बंधुआ मज़दूर बनने से इंकार कर दिया था. इतना ही नहीं मज़दूरी करने से मना करने के कारण इन बाप-बेटे ने महिला के पति की भी बुरी तरह से पिटाई कर दी.

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सुरखी पुलिस थाना प्रभारी आर एस बागरी ने बताया कि बीते सोमवार 32 वर्षीय नरेंद्र सिंह और उसके पिता साहब सिंह ने 40 वर्षीय राघवेन्द्र धानक और उसकी पत्नी जानकी को अपने घर पर आने और मजदूरी करने को कहा. लेकिन जब इस दम्पति ने उनके यहां काम करने से मना कर दिया तो नरेन्द्र और साहब सिंह गुस्से में राघवेंद्र को पीटने लगे और गाली देने लगे. बागरी ने कहा, जब जानकी अपने घायल पति को अस्पताल ले जा रही थी, तभी रास्ते में नरेन्द्र और साहब ने तेज़ धार वाले हथियार से उसकी नाक काट दी.

ख़बरों की मानें तो ये पीड़ित महिला दलित है और उसने बंधुआ मजदूरी करने से मना कर दिया था. इस वजह से गुस्साए ऊंची जाति के आरोपियों ने उसकी नाक काट दी और बुरी तरह मार-पिटाई भी की.

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लेकिन ये मामला बीते बुधवार को तब सामने आया जब पीड़ित जानकी ने मध्य प्रदेश महिला आयोग (MPWC) के सामने इन आरोपियों को सजा दिलवाने की फ़रियाद की. MPWC की अध्यक्ष लता वानखेड़े ने इसे गंभीर मामला बताते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बात कही है. उन्होंने कहा, ‘मामला गंभीर है, महिला को जबर्दस्ती बंधुआ मजदूर बनाने के लिए ले जाया जा रहा था.’

गौरतलब है कि उन दिनों रेंवझा में महिलाओं पर हुए अत्याचार के खिलाफ की जा रही सुनवाई के लिए बीते बुधवार को मध्य प्रदेश महिला आयोग का एक कैंप लगा था, जहां जानकी ने पूरी घटना के बारे में बताते हुए मदद की गुहार लगाई थी, जिसके बाद ये मामला मीडिया के सामने आया.

थाना प्रभारी बागरी ने बताया कि महिला की शिकायत पर हमने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और 324 सहित SC-ST Act के तहत मामला दर्ज किया है और दोनों बाप-बेटे को गिरफ़्तार कर लिया है.

तीन दिन पहले ही हमने आज़ादी की 70 वर्षगांठ मनाई है, लेकिन अगर इस आज़ाद देश के की एक महिला और उसके पति को केवल इसलिए बुरी तरह से मारा पीटा जाता है क्योंकि उन्होंने किसी के यहां बंधुआ मजदूरी करने से इंकार कर दिया. इस घटना के बाद तो केवल एक ही सवाल जेहन में आता है कि क्या सही मायनों में देश आज भी आज़ाद हुआ है?

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