एक ही प्रांगण में बने सईद गुलाम चिश्ती की दरगाह और शिव मंदिर में एक साथ होती है आरती और अज़ान

Sumit Gaur

कुछ दिनों पहले पश्चिम बंगाल में जो कुछ भी हुआ उसने न सिर्फ़ बंगाल के नेतृत्व पर सवाल उठाये, बल्कि देश की संप्रभुता की परिकल्पना पर भी प्रहार किया. इन सब हादसों के बीच बंगाल में एक ऐसी जगह भी है, जो पिछले 23 सालों से न सिर्फ़ देश की अखंडता और संप्रभुता को संभाले हुए है, बल्कि एकता की मिसाल को भी कायम किये हुए है.

पश्चिम बंगाल के घोरधारा में बनी सईद गुलाम चिश्ती की दरगाह एक ऐसी जगह है, जहां भगवान् शिव के महामंत्र और चिश्ती साहब की ग़ज़लों को एक समय पर बिना किसी टकराव के गाया जाता है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस जगह पर नारायण चंद्र आचार्य ने 1986 में एक शिव मंदिर बनवाया था. शिव भक्त होने के साथ ही नारायण चंद्र, सईद गुलाम चिश्ती पर भी आस्था रखते थे. 1994 में चिश्ती साहब के देहांत के बाद उनकी आखिरी इच्छा के अनुसार नारायण चंद्र ने उनकी दरगाह मंदिर के प्रांगण में ही बनवाई.

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तब से ले कर आज तक बिना किसी विवाद के एक ही प्रांगण से लाउड स्पीकर पर भजन और क़व्वाली दोनों गायी जाती है.

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