बीते रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री मोदी की बहुत बड़ी रैली हुई. रैली में प्रधानमंत्री ने कान को लुभाने वाली कई बातें कहीं. उनमें से एक बात ये थी,
‘सिर्फ कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेन्शन सेन्टर वाली अफ़वाहें सरासर झूठ हैं, बद-इरादे वाली है, देश को तबाह करने के नापाक इरादों से भरी पड़ी है – ये झूठ है, झूठ है, झूठ है…’
Indian Express की एक रिपोर्ट इस बात को झूठा साबित करती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक़, बेंगलुरु से 30 किलोमीटर दूर, एक अति सुरक्षित बिल्डिंग कंपाउंड है. इस कम्पाउंड के अंदर एक L-शेप की बिल्डिंग में 7 कमरे, एक रसोई घर और बाथरूम्स हैं. ये सुरक्षित बिल्डिंग कम्पाउंड लगभग तैयार है.
गृह मंत्रालय की ओर से कर्रनाटक सरकार को जनवरी 2019 में मैनुअल मिला और उसी के आधार पर अवैध प्रवासियों को रखने के लिए कर्नाटक सरकार डिटेंशन सेंटर बनवा रही है.
पिछले महीने, राज्य सरकार ने बेंगलुरु पुलिस को इस बिल्डिंग को अपने कब्ज़े में लेने के आदेश दिये. ये पिछड़ी जाति के बच्चों का हॉस्टल था, जिसे सोशल वेल्फ़ेयर डिपार्टमेंट चलाती थी.
राज्य सरकार ने 9 दिसंबर को आदेश दिये कि 2020 तक ये जगह, जिसे ‘Foreigners’ Movement Restriction Centre’ कहा जा रहा है को पूरी तरह तैयार करें.
सोशल वेल्फ़ेयर डिपार्टमेंट के अफ़सर ने कहा,
‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि 1 जनवरी तक ये सेंटर तैयार हो जाये. हमें अभी सीसीटीवी कैमरे लगाने हैं और स्टाफ़ क्वार्ट्स को पूरा करना है. किचन और कमरे तैयार हैं, बिजली और पानी की व्यवस्था भी हो गई है और स्टाफ़ का एलोकेशन भी हो गया है.’
इस सेंटर की सुरक्षा के लिए पुलिस ने स्टाफ़ भी अलॉट कर दिया है.
इस सेंटर को जल्दी शुरू करने की कवायद इसलिए की जा रही है क्योंकि 2018 अगस्त के 15 अवैध प्रवासियों के केस का निर्णय आने वाला है. कर्नाटक हाई कोर्ट के एक न्यायधीश ने राज्य सरकार को सेंटर को जल्दी शुरू करने को कहा है.
The New Minute की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, अधिकारी इस सेंटर को ‘जेल’ नहीं, ‘मूवमेंट रेस्ट्रिक्शन सेंटर बता रहे हैं. बिना ज़रूरी कागज़ात के पाये जाने वाले किसी भी व्यक्ति के मूवमेंट पर लगाम लगाने के लिए उसे यहां रखा जायेगा.