पहले स्वास्थ्य, अब स्वच्छता, मिलिये कोच्चि के ऐसे डॉक्टर से जिसने शहर की सफ़ाई का उठाया ज़िम्मा

Sanchita Pathak

बचपन में हम सभी ने स्कूल में पढ़ा था, साफ़-सफ़ाई रखना ईश्वर की भक्ति करने जैसा ही है (Cleanliness is next to godliness). ग़ौरतलब है कि कम ही लोग इस बात को जीवन में अपना पाते हैं. हमारे देश का तो शायद ‘नियम’ ही है, अपने घर और आस-पास को छोड़कर कहीं साफ़-सफ़ाई रखनी ही नहीं. कहीं भी कूड़ा डाल देना, रैपर (Wrapper) फेंक देना, कहीं भी टॉयलेट कर देना, थूक देना आदि इस देश में रोज़ देखने को मिलते हैं.


साफ़-सफ़ाई को लेकर देश के प्रधानमंत्री ने बहुत बड़े स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी, जिसके अंतर्गत ही देशभर में बड़े पैमाने पर टॉयलेट्स बनवाये गये थे लेकिन हालात आज भी बहुत नहीं सुधरे हैं. हम देशवासियों की ही ज़िम्मेदारी बनती है कि हम अपने गांव, कस्बे, शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाये.

केरल के शहर कोच्चि के एक न्यूरोसर्जन (Neurosurgeon) ने भी लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के साथ ही शहर की स्वच्छता की ज़िम्मेदारी ले ली.

The New Indian Express की एक लेख के अनुसार, @viakochi Instagram Page के पोस्ट पर डॉ. अरुण ने जवाब दिया और उनके शहर को स्वच्छ बनाने का सफ़र शुरू हुआ. Page Admins को बहुत सारे जवाब मिले और उनमें डॉ. अरुण का जवाब सबसे अलग था. डॉ.अरुण ने शहर के Open Dumping Grounds को ख़ूबसूरत बैठने की जगहों में बदलने का Idea दिया.  

Dr Arun Oommen

डॉ. अरुण के अनुसार कोच्चि शहर की दीवारों पर पेंटिंग करके, थोड़ी हरियाली जोड़कर और कुछ बेंच लगाकर एकदम नया रूप दिया जा सकता है. साफ़-सुथरी जगहों पर शहरवासी Relax कर सकेंगे. The Logical Indian के लेख के अनुसार, डॉ. अरुण VPS Lakeshore Global Life Care Hospital में Senior Consultant हैं. 

New Indian Express

Via Kochi ने डॉ. अरुण के Vision को हक़ीक़त में बदलने में मदद की. सोशल मीडिया के ज़रिये 15 से 30 वर्ष तक की आयु के वॉलंटियर्स, इस मुहीम में सहायता करने के लिये आगे आये. Via Kochi के सदस्यों समेत 30 लोगों की टीम ने कैंपेन के पहले प्रोजेक्ट की शुरुआत की. 20 और 21 मार्च के बीच Udhaya Colony, Karithala की सफ़ाई पूरी कर ली गई. पोस्टर्स हटाना, दीवारों की पेंटिंग, रंग-रोगन आसान काम नहीं था.  

डॉ. अरुण Udhaya Colony के लिये एक Scientific Waste Disposal Mechanism बनाने के बारे में भी सोच रहे हैं. डॉ. अरुण ने साबित कर दिया कि सोच अच्छी हो तो रास्ता बन ही जाता है.  

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