आसमान की ओर चलने की नाकाम कोशिश ने घुटनों पर ला दिया और रगड़ते घुटनों की परेशानियों ने सीधे चलना सिखा दिया. जी हां, एक बच्चा भी कुछ इसी तरह अपना पहला कदम रखता है. ज़िंदगी ऐसी ही तो होती है. मुश्क़िल हालात में करवट लेती है. महाराष्ट्र के वाशिम जिले के कर्खेदा गांव के निवासी गजानन पकमोड और उनकी पत्नी पुष्पा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. दोनों ने मिलकर अपने घर के बाहर 21 दिन के लॉकडाउन में 25 फ़ुट गहरा कुंआ खोद दिया है.
उन्होंने बताया कि ख़ुदाई शुरू करने के 21वें दिन जब ज़मीन से पानी निकाला तो हमारी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था.
ndtv की रिपोर्ट के मुताबिक़, गजानन पेशे से एक मिस्त्री हैं, इस काम में उन्होंने अपने हुनर का इस्तेमाल किया. पत्नी ने भी उसका साथ दिया और बच्चे उत्साह बढ़ाते रहे.
उन्होंने कहा कि ‘लॉकडाउन के दौरान जब जिला प्रशासन ने सभी को घर में रहने का आदेश दिया तो हमने कुछ करने का फ़ैसला किया. हम दोनों ने एक-दूसरे से बातचीत की. मैंने अपनी पत्नी को घर के सामने पूजा करने को कहा और फिर कुआं खोदने का काम करना शुरू कर दिया.’
पड़ोसियों ने उड़ाया मज़ाक
‘शुरुआत में हमें कुंआ खोदते देखकर हमारे पड़ोसियों ने आलोचना की लेकिन फिर भी हमने काम जारी रखा. 21वें दिन हमें सफ़लता मिली और 25 फ़ुट गहराई पर हमें पानी मिल गया.’ इस काम के लिए उन्होंने किसी भारी-भरकम मैकैनिकल उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया बल्क़ि हैंड टूल्स से ही ये करिश्मा कर दिखाया.
गजानन और उनका परिवार इस वक़्त काफ़ी ख़ुश हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पानी की समस्या को हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया है. उन्होंने बताया कि कुंआ ख़ोदने के पीछे सबसे बड़ी वजह ये थी कि स्थानीय जल सेवा स्कीम ज़्यादातर बंद रहती है. ऐसे में सूखे नल को देखने से बेहतर ख़ुद के लिए कुंआ खोदना था.
‘हम खुश हैं कि हमने कर दिखाया क्योंकि अब हमारी पानी की समस्या हमेशा के लिए हल हो गई है.’