महाभारत काल में जिस जगह बनाया गया था ‘लाक्षागृह’, ASI ने दी उस साइट की खुदाई की मंज़ूरी

Syed Nabeel Hasan

आपने महाभारत की कई कहानियां सुनी होंगी, देखी भी होंगी, लेकिन आज भी लोग इसके बारे में जानने में रूचि रखते हैं. शायद अब आपकी जिज्ञासा शांत हो सके क्योंकि खबर है कि महाभारत काल की एक कहानी के कई दिलचस्प तथ्यों का खुलासा अब आपके सामने हो सकता है. स्थानीय इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के कई वर्षो के अनुरोध के बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने आखिरकार बागपत जिले के बरनावा इलाके में स्थित महाभारत काल की एक साइट की खुदाई करने की मंजूरी दे दी है, जिसे स्थानीय निवासी ‘लाक्षागृह’ मानते हैं. ‘लाक्षागृह’ लाख से बना वो महल था, जो महाभारत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

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एएसआई अधिकारियों के अनुसार, खुदाई का काम दिसंबर के पहले सप्ताह में शुरू होगा और तीन महीने तक जारी रहेगा. पुरातत्व संस्थान के छात्र भी इसमें भाग लेंगे.

रिटायर्ड एएसआई सुपरिंटेंडिंग पुरातत्वविद्, के.के. शर्मा का कहना है, कौरवों ने इस महल का निर्माण पांडवों को ज़िंदा जलाने के लिए किया था, लेकिन पांडवों को इसकी भनक लग गयी और वो सुरंग के रास्ते वहां से बच निकले.
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साइट के धार्मिक महत्व के बारे में पूछे जाने पर, पुरातत्व संस्थान के निदेशक डॉ एस.के. मंजूल ने कहा, “इस साइट के धार्मिक पहलू पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा. चंदायन और सिनौली जैसी महत्वपूर्ण साइट्स से निकटता की वजह से हमने इस जगह को चुना है. वर्ष 2005 में, सिनौली में हुई खुदाई के दौरान महत्वपूर्ण हड़प्पा-काल के कब्रिस्तान स्थल का खुलासा हुआ था. साथ ही बड़ी संख्या में कंकाल और बर्तन भी बरामद हुए थे. कुछ इसी तरह, 2014 में चंदायन गांवों में कार्नेलियन मोतीयों के साथ एक तांबे का मुकुट भी पाया गया था.

मुलतानी मल पीजी कॉलेज, मोदी नगर के इतिहास विभाग के सहायक प्रोफ़ेसर और संस्कृति व इतिहास संघ के सचिव कृष्ण कांत शर्मा के अनुसार, ‘आज तक किसी ने भी इस सुरंग को अच्छी तरह से एक्स्प्लोर नहीं किया है क्योंकि इसमें बहुत से मोड़ हैं. शायद अब इस खुदाई कार्य से इस सुरंग की लंबाई नापी जा सके.’

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