‘गोदी मीडिया गो बैक’ के पोस्टरों से भरा किसान आंदोलन पिछले कुछ समय से आम लोगों से सीधा संपर्क बनाने की कोशिश कर रहा है. इसी क्रम में उन्होंने अपना एक अख़बार ‘ट्रॉली टाइम्स’ निकाला है. अपनी आवाज़ सीधे लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर ‘किसान एकता मोर्चा’ के नाम से अकाउंट बनाया है. इसमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और स्नैपचैट अकाउंट शामिल है.
रविवार को फ़ेसबुक ने ‘किसान एकता मोर्चा’ के पेज को फ़ेसबुक से हटा दिया था. लाखों फ़ॉलोवर वाले इस पेज को फ़ेसबुक ने Community Standards का हवाला देते हुए Unpublish कर दिया था.
स्वराज इंडिया के नेता, योगेंद्र यादव ने एक ट्वीट में कहा कि किसान एकता मोर्चा के पेज से फ़ेसबुक लाइव के दौरान उन्हें नोटिफ़िकेशन मिला कि इस पेज को Unpublish कर दिया गया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने फ़ेसबुक पर किसानों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया. फ़ेसबुक के इस क़दम का जल्द ही भारी विरोध होने लगा और उसपर सरकार और दक्षिणपंथी संगठनों का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया. लोगों ने #ShameOnFacebook और #ZuckerbergShameOnYou के ज़रिये ट्विटर पर अपनी नाराज़गी व्यक्त की.
भारी विरोध के बीच फ़ेसबुक ने इस पेज को फिर से बहाल कर दिया है. ग़ौरतलब है कि इससे पहले WSJ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि फ़ेसबुक भारत में सरकार का पक्ष लेती है, और अफ़वाह और नफ़रत फैलाने वाले पेज के खिलाफ़ कोई कड़ा क़दम नहीं उठाती है.
किसानों ने आंदोलन को तेज़ करते हुए अब क्रमिक रूप से भूख हड़ताल करने की घोषणा की है और 25-27 दिसंबर तक हरियाणा के टोल प्लाज़ा का भी घेराव करेंगे.