लगभग 2 महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसानों ने 26 जनवरी 2021 को ट्रैक्टर रैली निकाली. इस रैली देश की राजधानी में कई जगह हिंसात्मक रूप ले लिया.
कृषि क़ानून को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शक दिल्ली के लाल क़िले पर पहुंचे और वहां अपने झंडे फहराए. सोशल मीडिया और कई मीडिया चैनल्स का ये मानना है कि प्रदर्शकों ने तिरंगे का अपमान किया, तिरंगा हटाकर खालिस्तानी झंडा फहराया.
तिरंगे को हटाकर खालिस्तानी झंडा फहराए जाने वाली ख़बर पर बहुत सारे ट्वीट्स, पोस्ट्स और आर्टिकल छापे गये. बीजेपी के कई नेता, प्रवक्ताओं ने भी यही लिखा कि खालिस्तानी झंडा फहराया गया है. नतीजा सोशल मीडिया सेना भी यही मानने लगी, लिखने लगी.
ये है सच्चाई-
1. भारतीय झंडे को नहीं हटाया गया और न ही उसे रिप्लेस किया गया Alt News के अनुसार, प्रदर्शकों ने एक खाली पोल पर अपना झंडा फहराया. उन्होंने न ही तिरंगा हटाया और न ही खालिस्तानी झंडा फहराया. इस बात को साबित करने के लिए कई तस्वीरें और वीडियोज़ हैं.
2. प्रदर्शकों ने खालिस्तानी झंडा नहीं फहराया प्रदर्शकों ने जो झंडा फहराया वो निशान साहब है. ये सिखों का धार्मिक झंडा है.
शशि थरूर समेत बहुत से आम और ख़ास लोग लाल क़िले पर तिरंगे के अलावा कोई और झंडा फहराए जाने से नाख़ुश हैं. इस बात पर बहस हो सकती है, होनी भी चाहिए लेकिन ये कहना कि ये प्रदर्शक खालिस्तानी है ठीक नहीं.
यही नहीं 26 जनवरी 2021 को पंजाब की झांकी में भी इस झंडे का इस्तेमाल किया गया था.
क्या है निशान साहिब?
हर गुरुद्वारे के ऊपर दिख जाएगा निशान साहिब. हल्के पीले रंग के इस झंडे को गुरू हरगोबिंद जी ने फहराया था. ये 17वीं शताब्दी के शुरुआत में मुग़ल शासक शाह जहां के ख़िलाफ़ फहराया गया था. उस निशान साहब में कोई प्रतीक नहीं था.
खालिस्तानी झंडा क्या है?
खालिस्तानी समर्थक भी इस झंडे का प्रयोग करते हैं. खालिस्तानी आंदोलना 1970 के दशक में शुरू हुआ और आज भी बहुत से लोग खालिस्तान की मांग करते हैं. खालिस्तानी समर्थक भी निशान साहिब का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उस झंडे पर खालिस्तान लिखा होता है. खालिस्तानी झंडे में खंडा नहीं होता.
शशि थरूर समेत बहुत से आम और ख़ास लोग लाल क़िले पर तिरंगे के अलावा कोई और झंडा फहराए जाने से नाख़ुश हैं. इस बात पर बहस हो सकती है, होनी भी चाहिए लेकिन ये कहना कि ये प्रदर्शक खालिस्तानी है ठीक नहीं.
किसान यूनियन के लीडर्स ने क्या है?
कई किसान यूनियन के लीडर्स ने दिल्ली की घटना का दोषी अभिनेता दीप सिंधु को बताया है. कुछ फ़ार्म लीडर्स का कहना है कि इन घटनाओं में केन्द्र सरकार की साज़िश है. The Indian Express के अनुसार जब ट्रैक्टर रैली ने ग़लत रास्ता ले लिया तब संयुक्त किसान मोर्चा (इसमें कई यूनियन आते हैं) ने रैली रोकने को कहा. एसकेएम ने बीते मंगलवार को हुई घटनाओं से किनारा कर लिया है और हिंसा पर कड़ा विरोध जताया है.
अशिक्षित लोग ट्रैक्टर चला रहे थे, उन्हें दिल्ली का रास्ता नहीं पता था. एडमिनिस्ट्रेशन ने उन्हें दिल्ली का रास्ता बताया. वो दिल्ली गए और फिर घर लौट आए. उनमें से कुछ ग़लती से लाल क़िले की तरफ़ मुड़ गए. पुलिस ने उन्हें रास्ता बताया और वो लौट आए.
-राकेश टिकैट
दिल्ली का माहौल अभी ठीक नहीं है ऐसे में बेहद ज़रूरी है कि हम फ़ेक न्यूज़ फैलाने से बचें.